Ipc धारा ८३ : सात वर्ष से ऊपर और बारह वर्ष से कम आयु के अपरिपक्व समझ के शिशु का कार्य :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ८३ : सात वर्ष से ऊपर और बारह वर्ष से कम आयु के अपरिपक्व समझ के शिशु का कार्य : (See section 21 of BNS 2023) जब कोई बात, जो सात वष से ऊपर और बारह वर्ष से कम आयु…

Continue ReadingIpc धारा ८३ : सात वर्ष से ऊपर और बारह वर्ष से कम आयु के अपरिपक्व समझ के शिशु का कार्य :

Ipc धारा ८२ : सात वर्ष से कम आयु के शिशु का कार्य :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ८२ : सात वर्ष से कम आयु के शिशु का कार्य : (See section 20 of BNS 2023) जो सात वर्ष से कम आयु के शिशु द्वारा की गई कोइ बात या कोई कार्य अपराध नहीं है ।

Continue ReadingIpc धारा ८२ : सात वर्ष से कम आयु के शिशु का कार्य :

Ipc धारा ८१ : वह कार्य, जिससे अपहानि कारित होना संभाव्य है, किन्तु जो आपराधिक आशय (उद्देश) के बिना और अन्य अपहानि न हो या निवारण के लिए किया गया है :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ८१ : वह कार्य, जिससे अपहानि कारित होना संभाव्य है, किन्तु जो आपराधिक आशय (उद्देश) के बिना और अन्य अपहानि न हो या निवारण के लिए किया गया है : (See section 19 of BNS 2023) जो कोई बात, केवल…

Continue ReadingIpc धारा ८१ : वह कार्य, जिससे अपहानि कारित होना संभाव्य है, किन्तु जो आपराधिक आशय (उद्देश) के बिना और अन्य अपहानि न हो या निवारण के लिए किया गया है :

Ipc धारा ८० : विधिपूर्ण कार्य करने में दुर्घटना(अपघात) :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ८० : विधिपूर्ण कार्य करने में दुर्घटना(अपघात) : (See section 18 of BNS 2023) जो कोई बात, दुर्घटना या दुर्भाग्य से और किसी आपराधिक आशय या ज्ञान के सिवाय विधिपूर्ण प्रकार से विधिपूर्ण साधनों द्वारा और उचित सावधानी और सतर्कता…

Continue ReadingIpc धारा ८० : विधिपूर्ण कार्य करने में दुर्घटना(अपघात) :

Ipc धारा ७९ : विधि द्वारा न्यायानुमत (समर्थित) या तथ्य (वस्तुत:) की भूल के कारण अपने आपको विधि द्वारा न्यायानुमत होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ७९ : विधि द्वारा न्यायानुमत (समर्थित) या तथ्य (वस्तुत:) की भूल के कारण अपने आपको विधि द्वारा न्यायानुमत होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य : (See section 17 of BNS 2023) जो कोई बात, ऐसे व्यक्ति…

Continue ReadingIpc धारा ७९ : विधि द्वारा न्यायानुमत (समर्थित) या तथ्य (वस्तुत:) की भूल के कारण अपने आपको विधि द्वारा न्यायानुमत होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य :

Ipc धारा ७८ : न्यायालय के निर्णय या आदेशके अनुसरण में किया गया कार्य :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ७८ : न्यायालय के निर्णय या आदेशके अनुसरण में किया गया कार्य : (See section 16 of BNS 2023) जो कोई बात, न्यायालय के निर्णय या आदेश के अनुसरण में की जाए या उसके द्वारा अधिदिष्ट हो, यदि वह उस…

Continue ReadingIpc धारा ७८ : न्यायालय के निर्णय या आदेशके अनुसरण में किया गया कार्य :

Ipc धारा ७७ : न्यायिकत: कार्य करते हुए न्यायाधीश का कार्य :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ७७ : न्यायिकत: कार्य करते हुए न्यायाधीश का कार्य : (See section 15 of BNS 2023) जो कोई बात, न्यायिकत: कार्य करते हुए न्यायाधीश द्वारा ऐसी किसी शक्ती के प्रयोग में की जाती है, जो या जिसके बारे में उसे…

Continue ReadingIpc धारा ७७ : न्यायिकत: कार्य करते हुए न्यायाधीश का कार्य :

Ipc धारा ७६ : विधि द्वारा बंधा हुआ या तथ्य(वस्तुत:) की भूल के कारण अपने आपको विधि द्वारा बंधा हुआ होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० अध्याय ४ : साधारण अपवाद : धारा ७६ : विधि द्वारा बंधा हुआ या तथ्य(वस्तुत:) की भूल के कारण अपने आपको विधि द्वारा बंधा हुआ होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य : (See section 14 of BNS…

Continue ReadingIpc धारा ७६ : विधि द्वारा बंधा हुआ या तथ्य(वस्तुत:) की भूल के कारण अपने आपको विधि द्वारा बंधा हुआ होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य :

Ipc धारा ७५ : १.(अध्याय १२ या अध्याय १७ के अधीन पुर्व दोषसिद्धि के पश्चात् कतिपय (कुछ) अपराधों के लिए वर्धित (जादा/बढाकर) दण्ड :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ७५ : १.(अध्याय १२ या अध्याय १७ के अधीन पुर्व दोषसिद्धि के पश्चात् कतिपय(कुछ) अपराधों के लिए वर्धित (जादा/बढाकर) दण्ड : (See section 13 of BNS 2023) जो कोई व्यक्ती - क) २.(भारत) में के किसी न्यायालय द्वारा इस संहिता…

Continue ReadingIpc धारा ७५ : १.(अध्याय १२ या अध्याय १७ के अधीन पुर्व दोषसिद्धि के पश्चात् कतिपय (कुछ) अपराधों के लिए वर्धित (जादा/बढाकर) दण्ड :

Ipc धारा ७४ : एकान्त परिरोध (कारावास/कैद) की अवधि :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ७४ : एकान्त परिरोध (कारावास/कैद) की अवधि : (See section 12 of BNS 2023) एकान्त परिरोध(कारावास/कैद) के दण्डादेश के निष्पादन(अंमल) में ऐसा परिरोध किसी भी दशा में एक बार में चौदह दिन से अधिक न होगा, साथ ही ऐसे एकान्त…

Continue ReadingIpc धारा ७४ : एकान्त परिरोध (कारावास/कैद) की अवधि :

Ipc धारा ७३ : एकान्त परिरोध (कारावास/कैद ) :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ७३ : एकान्त परिरोध (कारावास/कैद ) : (See section 11 of BNS 2023) कोई व्यक्ती ऐसे जब कभी ऐसे अपराध के लिए दोषसिद्ध ठहराया जाता है जिसके लिए न्यायालय को इस संहिता के अधीन उसे कठिन कारावास से दण्डादिष्ट करने…

Continue ReadingIpc धारा ७३ : एकान्त परिरोध (कारावास/कैद ) :

Ipc धारा ७२ : कई अपराधों में से एक के दोषी व्यक्ती के लिए दण्ड जबकि निर्णय में यह कथित है कि यह संदेह (शंका) है कि वह किस अपराध के लिए दोषी है :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ७२ : कई अपराधों में से एक के दोषी व्यक्ती के लिए दण्ड जबकि निर्णय में यह कथित है कि यह संदेह (शंका) है कि वह किस अपराध के लिए दोषी है : (See section 10 of BNS 2023) जिनमें…

Continue ReadingIpc धारा ७२ : कई अपराधों में से एक के दोषी व्यक्ती के लिए दण्ड जबकि निर्णय में यह कथित है कि यह संदेह (शंका) है कि वह किस अपराध के लिए दोषी है :

Ipc धारा ७१ : कई (एक से अधिक) अपराधों से मिलकर बने अपराध के लिए दण्ड की अवधि :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ७१ : कई (एक से अधिक) अपराधों से मिलकर बने अपराध के लिए दण्ड की अवधि : (See section 9 of BNS 2023) जहा कोई बात (कुछ भी) जो अपराध है, जिनमें का कोई भाग स्वयं अपराध है, ऐसे भागों…

Continue ReadingIpc धारा ७१ : कई (एक से अधिक) अपराधों से मिलकर बने अपराध के लिए दण्ड की अवधि :

Ipc धारा ६३ : जुर्माने (द्रव्यदंड) की रकम :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ६३ : जुर्माने (द्रव्यदंड) की रकम : (See section 8 of BNS 2023) जहां जितना जुर्माना हो सकता है, वह राशि अभिव्यक्त(व्यक्त) नहीं की गई हेै वहां अपराधी जिस रकम के जुर्माने का दायी है, वह अमर्यादित है किन्तु अत्यधिक…

Continue ReadingIpc धारा ६३ : जुर्माने (द्रव्यदंड) की रकम :

Ipc धारा ६० : दण्डादिष्ट कारावास के कुछ(कतिपय) मामलों में संपूर्ण कारावास या उसका कोई भाग कठिन(सश्रम) या सादा हो सकेगा :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ६० : दण्डादिष्ट कारावास के कुछ(कतिपय) मामलों में संपूर्ण कारावास या उसका कोई भाग कठिन(सश्रम) या सादा हो सकेगा : (See section 7 of BNS 2023) जिसमें अपराधी दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डनीय है, ऐसे हर…

Continue ReadingIpc धारा ६० : दण्डादिष्ट कारावास के कुछ(कतिपय) मामलों में संपूर्ण कारावास या उसका कोई भाग कठिन(सश्रम) या सादा हो सकेगा :

Ipc धारा ५७ : दण्डावधियो की भिन्नें (सजा के मोमलें के भाग / अवधि ) :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ५७ : दण्डावधियो की भिन्नें (सजा के मोमलें के भाग / अवधि ) : (See section 6 of BNS 2023) दण्डावधियों की भिन्नों (भागों) की गणना करने मं, आजीवन १.(कारावास) को बीस वर्ष के १.(कारावास) के तुल्य गिना जाएगा ।…

Continue ReadingIpc धारा ५७ : दण्डावधियो की भिन्नें (सजा के मोमलें के भाग / अवधि ) :

Ipc धारा ५४ : मृत्यू दण्डादेश का लघुकरण (सौम्य) :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ५४ : मृत्यू दण्डादेश का लघुकरण (सौम्य) : (See section 5 of BNS 2023) जिसमें मृत्यू का दण्डादेश दिया गया हो, ऐसे हर मामले में, उस दण्ड को अपराधी की सम्मति के बिनाभी १.(समुचित सरकार / शासन) इस संहिता द्वारा…

Continue ReadingIpc धारा ५४ : मृत्यू दण्डादेश का लघुकरण (सौम्य) :

Ipc धारा ५३क : १.(निर्वासन (कालापानी /आजीवन कारावास) के प्रति निर्देश का अर्थ लगाना :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ५३क : १.(निर्वासन (कालापानी /आजीवन कारावास) के प्रति निर्देश का अर्थ लगाना : १)उपधारा (२) और (३) के उपबंधोके अध्यधीन किसी अन्य तत्समय(उसी समय) प्रवृत्ति(अंमल में) विधि में या किसी ऐसी विधि या किसी नियसित अधिनियमोंके आधार पर प्रभावशील किसी…

Continue ReadingIpc धारा ५३क : १.(निर्वासन (कालापानी /आजीवन कारावास) के प्रति निर्देश का अर्थ लगाना :

Ipc धारा ५३ : दण्ड (सजा / शिक्षा) :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० अध्याय ३ : दण्डों के विषय में : धारा ५३ : दण्ड (सजा / शिक्षा) : (See section 4 of BNS 2023) अपराधी इस संहिता के उपबंधों के अधीन जिन दण्डों (सजा) से दण्डनीय हे वे इसप्रकार हैं- पहला : मुत्यु;…

Continue ReadingIpc धारा ५३ : दण्ड (सजा / शिक्षा) :

Ipc धारा ७ : एक बार समझाया अभिव्यक्ती या पद का भाव :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ७ : एक बार समझाया अभिव्यक्ती या पद का भाव : इस संहिता के किसी भी भाग में (धारा में) समझाया गया हर पद या अभिव्यक्ती का स्पष्टीकरण इस संहिता के अनुरुप ही प्रयोग किया गया है। धारा ८: लिंग…

Continue ReadingIpc धारा ७ : एक बार समझाया अभिव्यक्ती या पद का भाव :