Pwdva act 2005 धारा ३१ : प्रत्यर्थी द्वारा संरक्षण आदेश के भंग के लिए शास्ति :

घरेलू हिंसा अधिनियम २००५
धारा ३१ :
प्रत्यर्थी द्वारा संरक्षण आदेश के भंग के लिए शास्ति :
(१) प्रत्यर्थी द्वारा संरक्षण आदेश या किसी अंतरिम संरक्षण आदेश का भंग, इस अधिनियम के अधीन एक अपराध होगा और वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो बीस हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दंडनीय होगा।
(२) उपधारा (१) के अधीन अपराध का विचारण यथासाध्य उस मजिस्ट्रेट द्वारा किया जाएगा जिसने वह आदेश पारित किया था, जिसका भंग अभियुक्त द्वारा कारित किया जाना अभिकथित किया गया है।
(३) उपधारा (१) के अधीन आरोपों को विरचित करते समय, मजिस्ट्रेट यथास्थिति, भारतीय दंड संहिता (१८६० का ४५) की धारा ४९८क या संहिता के किसी अन्य उपबंध, या दहेज प्रतिषेध अधिनियम, १९६१ (१९६१ का २८) के अधीन अरोपों को भी विरचित कर सकेगा, यदि तथ्यों से गह प्रकट होता है कि उन उपबंधों के अधीन कोई अपराध हुआ है।

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