Pwdva act 2005 धारा १८ : संरक्षण आदेश :

घरेलू हिंसा अधिनियम २००५
धारा १८ :
संरक्षण आदेश :
मजिस्ट्रेट, व्यथित व्यक्ति और प्रत्यर्थी को सुनवाई का एक अवसर दिए जाने के पश्चात् और उसका प्रथमदृष्ट्या समाधान होने पर कि घरेलू हिंसा हुई है या होने वाली है, व्यथित व्यक्ति के पक्ष में एक संरक्षण आदेश पारित कर सकेगा तथा प्रत्यर्थी को निम्नलिखित से प्रतिषिद्ध कर सकेगा, –
(a)क) घरेलू हिंसा के किसी कार्य को करना;
(b)ख) घरेलू हिंसा के कार्यों के कारित करने में सहायता या दुष्प्रेरण करना;
(c)ग) व्यथित व्यक्ति के नियोजन के स्थान में या यदि व्यथित व्यक्ति बालक है, तो उसके विद्यालय में या किसी अन्य स्थान में जहां व्यथित व्यक्ति बार-बार आता जाता है, प्रवेश करना;
(d)घ) व्यथित व्यक्ति से संपर्क करने का प्रयत्न करना, चाहे वह किसी रुप में हो, इसके अंतर्गत वैयक्तिक, मौखित या लिखित या इलैक्ट्रोनिक या दूरभाषीय संपर्क भी है;
(e)ङ) किन्हीं आस्तियों का अन्य संक्रामण करना; उन बैंक लाकरों या बैंक खातों का प्रचालन करना जिनका दोनों पक्षों द्वारा प्रयोग या धारण या उपयोग, व्यथित व्यक्ति और प्रत्यर्थी द्वारा संयुक्तत: या प्रत्यर्थी द्वारा अकेले किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत उसका स्त्रीधन या अन्य कोई संपत्ति भी है, जो मजिस्ट्रेट की इजाजर के बिना या तो पक्षकारों द्वारा संयुक्तत: या उनके द्वारा पृथक्त: धारित की हुई हैं ;
(f)च) आश्रितों, अन्य नातेदारों या किसी ऐसे व्यक्ति को जो व्यथित व्यक्ति को घरेलू हिंसा के विरुद्ध सहायता देता है, के साथ हिंसा कारित करनो;
(g)छ) ऐसा कोई अन्य कार्य करना जो संरक्षण आदेश में विनिर्दिष्ट किया गया है ।

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