Pca act 1988 धारा २२ : दंड प्रक्रिया संहिता ,१९७३ का कुछ उपांतरणों के अध्यधीन लागू होना :

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम १९८८
धारा २२ :
दंड प्रक्रिया संहिता ,१९७३ का कुछ उपांतरणों के अध्यधीन लागू होना :
दंड प्रक्रिया संहिता ,१९७३ (१९७४ का २) के उपंबध, इस अधिनियम के अधीन दंडनीय किसी अपराध के संबंध में किसी कार्यवाही पर लागू होने में ऐसे प्रभावी होंगे मानो –
(a) क) धारा २४३ की उपधारा (१) में तब अभियुक्त से अपेक्षा की जाएगी शब्दों के स्थान पर तब अभियुक्त से अपेक्षा की जाएगी कि वह तुरंत या इतने समय के भीतर जितना न्यायालय अनुज्ञात करे, उन व्यक्तियों की (यदि कोई हों ) जिनकी वह अपने साक्षियों के रूप में परीक्षा करना चाहता है और उन दस्तावेजों की (यदि कोई हों ) जिने पर वह निर्भर करना चाहता है, एक लिखित सूची दे, और तब उससे अपेक्षा की जाएगी शब्द प्रतिस्थापित कर दिए गए हों :
(b) ख) धारा ३०९ की उपधारा (१) में , तीसरे के पश्चात्, निम्नलिखित परंतुक अंत:स्थापित किया गया था अर्थात् :-
परंतु यह और कि कार्यवाही मात्र इस आधशर पर कि कार्यवाही के एक पक्षकार द्वारा धारा ३०७ के अधीन आवेदन किया गया है, स्थगित या मुल्तवी नहीं की जाएगी ।
(c) ग) धारा ३१७ की उपधाारा (२) के पश्चात् निम्नलिखित उपधारा अंत:स्थापित की गई थी, अर्थात् :-
३)उपधारा (१) या उपधारा (२) में किसी बात के होते हुए भी न्यायाधीश, यदि वह ठीक समझता है तो और ऐसे कारणों से जो उसके द्वारा लेखबध्द किए जाएंगे, अभियुक्त या उसके प्लीडर की अनुपस्थिति में जांच या विचारण करने के लि, अग्रसर हो सकता है और किसी साक्षी का साक्ष्य प्रतिपरीक्षा के लिए साक्षी को पुन: बुलाने के अभियुक्त के अधिकार के अधीन रहते हुए, लेखबध्द कर सकता है ।
(d) घ)धारा ३९७ की उपधारा (१) में स्पष्टीकरण के पहले निम्नलिखित परंतुक अंत:स्थापित कर दिया गया हो, अर्थात् :-
परंतु जहां किसी न्यायालय द्वारा इस उपधारा के अधीन शक्तियों का प्रयोग ऐसी कार्यवाहियों के किसी एक पक्षकार द्वारा किए गए आवेदन पर किया जाता है, वहां वह न्यायालय कार्यवाही के अभिलेख को मामूली तौर पर –
(a) क) दूसरे पक्षकार को इस बात का हेतुक दर्शित करने का अवसर दिए बिना नहीं मंगाएगा कि अभिलेख क्यों न मंगाया जाए :
(b) ख) उस दशा में नहीं मंमाएगा जिसमें उसका यह समाधान हो जाता है कि कार्यवाही के अभिलेख की परीक्षा प्रमाणित प्रतियों से की जा सकती है ।

Leave a Reply