Pca act 1960 धारा ३५ : पशुओं का उपचार और देखरेख :

पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम १९६०
धारा ३५ :
पशुओं का उपचार और देखरेख :
(१) राज्य सरकार, साधारण या विशेष आदेश द्वारा, ऐसे पशुओं के उपचार और उनकी देख-रेख के लिए, जिनके सम्बन्ध में इस अधिनियम के विरुद्ध अपराध किए गए हैं रुग्णावास स्थापित कर सकेगी और मजिस्टड्ढेट के समक्ष पेश किए जाने के समय तक के लिए किसी पशु का उसमें निरोध प्राधिकृत कर सकेगी।
(२) वह मजिस्टड्ढेट जिसके समक्ष इस अधिनियम के विरुद्ध किए गए अपराध के लिए अभियोजन संस्थित किया गया है, यह निदेश दे सकेगा कि सम्बद्ध पशु की तब तक रुग्णावास में देख-रेख और उचार किया जाए जब तक वह अपना सामान्य कार्य करने योग्य न हो जाए या अन्यथा उन्मोचल के योग्य न हो जाए, या यह निदेश दे सकेगा कि वह पिंजरापोल में भेज दिया जाए, या यदि उस क्षेत्र का, जिसमें वह पशु पाया जाए, भारसाधक पशु चिकित्सा अधिकारी या ऐसा अन्य पशु चिकित्सा अधिकारी, जिसे इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किया जाए, यह प्रमाणित करता है कि वह लाइलाज है या उसे क्रूरता किए बिना हटाया नहीं जा सकता तो उसे नष्ट कर दिया जाए।
(३) किसी रुग्णावास में उपचार और देख-रेख के लिए भेजा गया पशु उस स्थान से, जब तक कि मजिस्टड्ढेट यह निदेश नहीं देता कि उसे पिंजरापोल में भेज दिया जाए या नष्ट कर दिया जाए, उस क्षेत्र का, जिसमें रुग्णावास स्थित है, भारसाधक पशु चिकित्सा अधिकारी या अन्य ऐसा पशु चिकित्सा अधिकारी, जो इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किया जाए, यह प्रमाणपत्र नहीं दे देता कि वह उन्मोचित किए जाने के योग्य है, छोड़ा नहीं जाएगा।
(४) किसी पशु को किसी रुग्णावास या पिंजरापोल तक ले जाने का, और रुग्णावास में उसके पोषण और उपचार का खर्च पशु के स्वामी द्वारा, जिला मजिस्टड्ढेट या प्रेसिडेंसी नगरों में पुलिस आयुक्त द्वारा विहित की जाने वाली दरों के मापमान के अनुसार संदय होगा:
परन्तु उस पशु के उपचार के लिए कोई भी प्रभार संदेय नहीं होगा, यदि पशु के स्वामी की निर्धनता के कारण मजिस्टड्ढेट वैसा आदेश दे।
(५) उपधारा (४) के अधीन किसी पशु के स्वामी द्वारा संदेय रकम उसी रीति से बमूल की जा सकेगी जिस रीति से भू-राजस्व की बकाया वसूल की जाती है।
(६) यदि स्वामी उतने समय के भीतर जितना मजिस्टड्ढेट विहित करे, उस पशु को हटाने से इंकार करता है या उसकी उपेक्षा करता है तो मजिस्टड्ढेट निदेश दे सकेगा कि वह पशु बेच दिया जाए और बिक्री से प्राप्त धन को उस खर्च का संदाय करने में उपयोजित किया जाए।
(७) बिक्री से प्राप्त ऐसे धन का अतिशेष, यदि कोई हो, बिक्री की तारीख से दो मास के भीतर स्वामी द्वारा आवेदन किए जाने पर, उसे दे दिया जाएगा।

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