Pca act 1960 धारा १३ : यातनाग्रस्त पशुओं को नष्ट करना :

पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम १९६०
धारा १३ :
यातनाग्रस्त पशुओं को नष्ट करना :
(१) जहां कि किसी पशु का स्वामी धारा ११ के अधीन किसी अपराध के लिए दोषसिद्ध किया जाता है वहां, यदि न्यायालय का समाधान हो गया है कि पशु को जीवित रखना क्रूरता होगी तो, न्यायालय के लिए यह वैध होगा कि वह यह निदेश दे कि उस पशु को नष्ट कर दिया जाए और उस प्रयोजन के लिए उसे किसी उपयुक्त व्यक्ति को सौंप दिया जाए, तथा जिस व्यक्ति को वह पशु इस प्रकार सौंपा जाए वह, उसे अनावश्यक यातना दिए बिना, अपनी उपस्थिति में यथासंभवशीघ्र नष्ट कर देगा या करवा देगा तथा न्यायालय यह आदेश दे सकेगा कि उस पशु को नष्ट करने में जो भी उचित व्यय हुआ है वह उसके स्वामी से वैसे ही वसूल कर लिया जाए मानो बह जुर्माना हो :
परन्तु यदि स्वामी उसके लिए अपनी अनुमति नहीं देता है तो इस धारा के अधीन कोई भी आदेश, उस क्षेत्र के भारसाधक पशु चिकित्सा अधिकारी के साक्ष्य के बिना, नहीं दिया जाएगा।
(२) जब किसी मजिस्ट्रेट, पुलिस आयुक्त या जिला पुलिस अधीक्षक के पास यह विश्वास करने का कारण हो कि किसी पशु के संबंध में धारा ११ के अधीन कोई अपराध किया गया है तो वह उस पशु के तुरन्त नष्ट किए जाने का निदेश दे सकेगा यदि उसे जीवित रखना उसकी राय में क्रूरता हो।
(३) कांस्टेबल की पंक्ति से ऊपर का कोई पुलिस अधिकारी या राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत कोई व्यक्ति, जो किसी पशु को इतना रुग्ण या इतने गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त या ऐसी शारीरिक स्थिति में पाता है कि उसकी राय में उसे क्रूरता के बिना हटाया नहीं जा सकता है तो वह, यदि स्वामी अनुपस्थित है या उस पशु को नष्ट करने के लिए अपनी सहमति देने से इंकार करता है तो, तुरन्त उस क्षेत्र के भारसाधक पशु चिकित्सा अधिकारी को, जिसमें वह पशु पाया गया हो, आहूत कर सकेगा और यदि पशु चिकित्सा अधिकारी यह प्रमाणित करता है कि वह पशु घातक रूप से क्षतिग्रस्त है या इतने गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त है या ऐसी शारीरिक स्थिति में है कि उसे जीवित रखना क्रूरतापूर्ण होगा तो, यथास्थिति, वह पुलिस अधिकारी या प्राधिकृत व्यक्ति, मजिस्ट्रेट के आदेश प्राप्त करने के पश्चात् उस १.(क्षतिग्रस्त पशु को ऐसी रीति से, जो विहित की जाए, नष्ट कर सकेगा या नष्ट करा सकेगा।)
(४) पशु को नष्ट करने के संबंध में मजिस्ट्रेट के किसी आदेश के खिलाफ कोई भी अपील नहीं होगी।
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१. १९८२ के अधिनियम नं २६ की धारा १२ द्वारा अन्त:स्थापित ।

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