Pca act 1960 धारा ११ : पशुओं के प्रति क्रूरता का व्यवहार :

पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम १९६०
अध्याय ३ :
साधारणतया पशुओं के प्रति क्रूरता :
धारा ११ :
पशुओं के प्रति क्रूरता का व्यवहार :
(१) यदि कोई व्यक्ति –
(a)(क) किसी पशु को पीटेगा, ठोकर मारेगा, उस पर अत्यधिक सवारी करेगा, उस पर सवारी करके उसे अत्यधिक हांकेगा, उस पर अत्यधिक बोझ लादेगा, उसे यंत्रणा देगा, या अन्यथा उसके साथ ऐसे बर्ताव करेगा या करवाएगा जिससे उसे अनावश्यक पीड़ा या यातना होती है, या स्वामी होते हुए किसी पशु के प्रति इस प्रकार का बर्ताव करने देगा; अथवा
(b)(ख) १.(किसी कार्य श्रम में, या किसी अन्य प्रयोजन के लिए किसी ऐसे पशु को लगाएगा जो अपनी आयु या किसी रोग,) अंग-शैथिल्य, घाव, फोड़े के कारण अथवा किसी अन्य कारण से इस प्रकार लगाए जाने के अनुपयुक्त है, या स्वामी होते हए ऐसे किसी अनुपयुक्त पशु को इस प्रकार लगाए जाने देगा; अथवा
(c)(ग) १.(किसी पशु को) जानबूझकर तथा अनुचित रूप से कोई क्षतिकारक औषधि या क्षतिकारक पदार्थ देगा या १.(किसी पशु को) जानबूझकर और अनुचित रूप से ऐसी कोई औषधि या पदार्थ, खिलवाएगा या खिलवाने का प्रयास करेगा; अथवा
(d)(घ) किसी पशु को किसी यान में, या यान पर या अन्यथा ऐसी रीति से या ऐसी स्थिति में प्रवहित करेगा या ले जाएगा जिससे कि उसे अनावश्यक पीड़ा या यातना पहुंचती है ; अथवा
(e)(ङ) किसी पशु को किसी ऐसे पिंजरे या अन्य पात्र में रखेगा या परिरुद्ध करेगा, जिसकी ऊंचाई, लम्बाई और चौड़ाई इतनी पर्याप्त न हो कि पशु को उसमें हिल-डुल सकने का उचित स्थान प्राप्त हो सके ; अथवा
(f)(च) किसी पशु को अनुचित रूप से छोटी या अनुचित रूप से भारी किसी जंजीर या रस्सी में किसी अनुचित अवधि तक के लिए बांधकर रखेगा ; अथवा
(g)(छ) स्वामी होते हुए, किसी ऐसे कुत्ते को, जो अभ्यासत: जंजीर में बंधा रहता है या बन्द रखा जाता है, उचित रूप से व्यायाम करने या करवाने की उपेक्षा करेगा; अथवा
(h)(ज) १.(किसी पशु को) स्वामी होते हुए ऐसे पशु को पर्याप्त खाना, जल या आश्रय नहीं देगा; अथवा
(i)(झ) उचित कारण के बिना, किसी पशु को ऐसी परिस्थिति में परित्यक्त कर देगा जिससे यह संभाव्य हो कि उसे भुखमरी या प्यास के कारण पीड़ा पहुंचे, अथवा
(j)(ञ) किसी ऐसे पशु को, जिसका वह स्वामी है, जानबूझकर किसी मार्ग में छोड कर घूमने देगा जब कि वह पशु किसी सांसर्गिक या संक्रामक रोग से ग्रस्त हो, या किसी रोगग्रस्त या विकलांग पशु को, जिसका वह स्वामी है, उचित कारण के बिना, किसी मार्ग में मर जाने देना ; अथवा
(k)(ट) किसी ऐसे पशु को विक्री के लिए प्रस्तुत करेगा, या बिना किसी उचित कारण के अपने कब्जे में रखेगा, जो अंग विच्छेद, भुखमरी, प्यास, अतिभरण या अन्य दुव्र्यवहार के कारण पीड़ाग्रस्त हो ; अथवा
(l).(ठ) किसी पशु का अंग विच्छेद करेगा या किसी पशु को (जिसके अन्तर्गत आवारा कुत्ते भी हैं) हृदय में स्टड्ढीक्नीन अन्तःक्षेपण की पद्धति का उपयोग करके या किसी अन्य अनावश्यक क्रूरढंग से मार डालेगा ; अथवा)
(m)३.(ड) केवल मनोरंजन करने के उद्देश्य से, –
(एक) किसी पशु को ऐसी रीति से परिरुद्ध करेगा या कराएगा (जिसके अन्तर्गत किसी पशु का किसी व्याघ्र या अन्य पशु वन में चारे के रूप में बांधा जाना भी है) कि वह किसी अन्य पशु का शिकार बन जाए; अथवा
(दो) किसी पशु को किसी अन्य पशु के साथ लड़ने के लिए या उसे सताने के लिए उद्दीप्त करेगा ; अथवा )
(n)(ढ) पशुओं की लड़ाई के लिए या किसी पशु को सताने के प्रयोजनार्थ, किसी स्थान को ४.(***) सुव्यवस्थित करेगा, बनाए रखेगा उसका उपयोग करेगा, या उसके प्रबन्ध के लिए कोई कार्य करेगा या किसी स्थान को इस प्रकार उपयोग में लाने देगा या तदर्थ प्रस्ताव करेगा, या ऐसे किसी प्रयोजन के लिए रखे गए या उपयोग में लाए गए किसी स्थान में किसी अन्य व्यक्ति के प्रवेश के लिए धन प्राप्त करेगा; अथवा
(o)(ण) गोली चलाने या निशानेबाजी के किसी मैच या प्रतियोगिता को, जहां पशुओं को बंधुआ हालत से इसलिए छोड़ दिया जाता है कि उन पर गोली चलाई जाए या उन्हें निशाना बनाया जाए, बढ़ावा देगा या उसमें भाग लेगा,
५.(तो वह प्रथम अपराध की दशा में, जुर्माने से, जो दस रुपए से कम नहीं होगा किन्तु जो पचास रुपए तक का हो सकेगा और द्वितीय या पश्चात्वर्ती अपराध की दशा में, जो पिछले अपराध के किए जाने के तीन वर्ष की अवधि के भीतर किया जाता है, जुमनि से, जो पच्चीस रुपए से कम नहीं होगा किन्तु जो एक सौ रुपए तक का हो सकेगा, या कारावास से, जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकेगी, अथवा दोनों से, दण्डित किया जाएगा।)
(२) उपधारा (१) के प्रयोजनों के लिए किसी स्वामी के बारे में यह तब समझा जाएगा कि उसने अपराध किया है जब वह ऐसे अपराध के निवारण के लिए समुचित देखरेख और पर्यवेक्षण करने में असफल रहा हो :
परन्तु जहां स्वामी केवल इसी कारण क्रूरता होने देने के लिए दोषसिद्ध किया जाता है कि वह ऐसी देख-रेख और पर्यवेक्षण करने में असफल रहा है वहां वह जुर्माने के विकल्प के बिना कारावास का दायी नहीं होगा।
(३) इस धारा की कोई भी वात निम्नलिखित को लागू नहीं होगी –
(a)(क) विहित रीति से ढोरों के सींग निकालना, या किसी पशु को बधिया करना या उसे दागना या उसकी नाक में रस्सी डालना; अथवा
(b)(ख) आवारा कुत्तों को प्राणहर कक्षों में या ५.(किन्हीं अन्य ढंगों से, जो विहित किए जाएं) नष्ट करना ; अथवा
(c)(ग) तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के प्राधिकार के अधीन किसी पशु का उन्मूलन करना या उसे नष्ट करना ; अथवा
(d)(घ) कोई विषय, जो अध्याय ४ में वर्णित है ; अथवा
(e)(ङ) मनुष्यों के भोजन के रूप में किसी पशु को नष्ट करने या नष्ट करने की तैयारी के दौरान किसी कार्य का किया जाना या कोई कार्य-लोप, यदि ऐसे नाश या ऐसी तैयारी के समय उसे अनावश्यक पीड़ा या यातना न पहुंची हो।
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१. १९८२ के अधिनियम सं० २६ की धारा १० द्वारा कतिपय शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२. १९८२ के अधिनियम सं० २६ की धारा १० द्वारा खंड (ठ) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
३. १९८२ के अधिनियम सं २६ की धारा १० द्वारा खंड (ड) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
४.१९८२ के अधिनियम सं० २६ की धारा १० द्वारा कतिपय शब्दों का लोप किया गया।
५.१९८२ के अधिनियम सं० २६ की धारा १० द्वारा कतिपय शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।

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