स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम १९८५
धारा ७२ :
सरकार को शोध्य राशियों की वसूली :
१) इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए किसी नियम या निकाले गए किसी आदेश के किसी उपबन्ध के अधीन केन्द्रीय सरकार या राज्य को संदेय कोई अनुज्ञप्ति फीस या किसी प्रकार की कोई अन्य धनराशि की बाबत, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार का ऐसा अधिकारी, जो ऐसी धनराशि के संदाय की अपेक्षा करने के लिए सशक्त है, ऐसे व्यक्ति को, जिससे ऐसी धनराशि वसूलीय या शोध्य है, देय किसी धन में से ऐसी धनराशि की रकम की कटौती कर सकेगा अथवा ऐसी रकम या राशि की वसूली ऐसे व्यक्तियों के माल की कुर्की और विक्रय करके कर सकेगा और यदि उसकी रकम इस प्रकार वसूल नहीं की जाती है तो उसे उस व्यक्ति या उसके प्रतिभू से (यदि कोई हो) इस प्रकार वसूल की जा सकेगी मानो वह भू-राजस्व की बकाया हो ।
२) जब कोई व्यक्ति, इस अधिनियम के अधीन बनाए गए किसी नियम के अनुपालन में, किसी कार्य के पालन के लिए या किसी कार्य से अपने को प्रविरत रहने के लिए (धारा ३४ और धारा ३९ के अधीन किसी बन्धपत्र से भिन्न) कोई बन्धपत्र देता है तब ऐसे पालन या प्रविरत के बारे में यह समझा जाएगा कि वह भारतीय संविदा अधिनियम, १८७२ (१८७२ का ९) की धारा ७४ के अर्थ में लोक कर्तव्य है; और उसके द्वारा ऐसे बन्धपत्र की शर्तो के भंग किए जाने पर, उसमें ऐसे भंग की दशा में संदाय की जाने वाली रकम के रुप में नामित सम्पूर्ण धनराशि उससे या उसके प्रतिभू से (यदि कोई हो) इस प्रकार वसूल की जा सकेगी मानो वह भू-राजस्व की बकाया हो ।
