स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम १९८५
धारा ६४-क :
१.(ऐसे व्यसनियों को अभियोजन से उन्मुक्ति जो स्वेच्छया उपचार कराते है :
कोई व्यसनी, जिस पर धारा २७ के अधीन दण्डनीय अपराध या स्वापक ओषधि या मन:प्रभावी पदार्थ की अल्प मात्रा से संबंधित अपराधों का आरोप है और जो सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकरण द्वारा चलाए जा रहे या मान्यता प्राप्त किसी अस्पताल या किसी ऐसी संस्था से निराव्यसन के लिए स्वेच्छया चिकित्सीय उपचार लेना चाहता है और ऐसा उपचार लेताहै, धारा २७ के अधीन या किसी अन्य धारा के अधीन स्वापक ओषधि या मन:प्रभावी पदार्थ की अल्प मात्रा से संबंधित अपराधों के अभियोजन के लिए दायी नहीं होगा :
परन्तु यदि व्यसनी निराव्यसन के लिए पूर्ण उपचार नहीं लेता है तो अभियोजन से उक्त उन्मुक्ति को वापस लियाजा सकेगा ।)
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१. २००१ के अधिनियम सं. ९ की धारा ३० द्वारा प्रतिस्थापित ।
