किशोर न्याय अधिनियम २०१५
धारा ९४ :
आयु के विषय में उपधारणा और उसका अवधारण ।
१) जहां बोर्ड या समिति को, इस अधिनियम के किसी उपबंध के अधीन (साक्ष्य देने के प्रयोजन से भिन्न ) उसके समक्ष लाए गए व्यक्ति की प्रतीती के आधार पर यह स्पष्ट होता है कि उक्त व्यक्ति बालक है तो समिति या बोर्ड बालक की यथासंभव सन्निकट आयु का कथन करते हुए ऐसे संप्रेषण को अभिलिखित करेगा और आयु की और अभिपुष्टि की प्रतीक्षा किए बिना, यथास्थिति, धारा १४ या धारा ३६ के अधीन जांच करेगा ।
२) यदि समिति या बोर्ड पास इस संबंध में संदेह होने के युक्तियुक्त आधार है कि क्या उसके समक्ष लाया गया व्यक्ति बालक है या नहीं, तो, यथास्थिति, समिति या बोर्ड, निम्नलिखित साक्ष्य अभिप्राप्त करके आयु अवधारण की प्रक्रिया का जिम्मा लेगा –
एक) विद्यालय से प्राप्त जन्म तारीख प्रमाणपत्र या संबंधित परिक्षा बोर्ड से मैट्रिकुलेशन या समतुल्य प्रमाणपत्र, यदि उपलब्ध हो; और उसके अभाव में;
दो) निगम या नगरपालिका प्राधिकारी या पंचायत द्वारा गया जन्म प्रमाणपत्र;
तीन) और केवल उपरोक्त (एक) और (दो) के अभाव में, आयु का अवधारण समिति या बोर्ड के आदेश पर की गर्ड अस्थि जांच या कोई अन्य नवीनतम चिकित्सीय आयु अवधारण जांच के आधार पर किया जाएगा :
परंतु समिति या बोर्ड के आदेश पर की गई ऐसी आयु अवधारण जांच ऐसे आदेश की तारीख से पन्द्रह दिन के भीतर पूरी की जाएगी ।
३) समिति या बोर्ड द्वारा उसके समक्ष इस प्रकार लाए गए व्यक्ति की अभिलिखित आयु, इस अधिनियम के प्रयोजन के लिए उस व्यक्ति की सही आयु समझी जाएगी ।