JJ act 2015 धारा ९३ : ऐसे बालक का स्थानांतरण, जो मानसिक रुप से बीमार है या अल्कोहल या अन्य मादक द्रव्यों का आदी है ।

किशोर न्याय अधिनियम २०१५
धारा ९३ :
ऐसे बालक का स्थानांतरण, जो मानसिक रुप से बीमार है या अल्कोहल या अन्य मादक द्रव्यों का आदी है ।
१) जहां समिति या बोर्ड को यह प्रतीत होता है कि इस अधिनियम के अनुसरण में किसी विशेष गृह या किसी संप्रेषण गृह या किसी बाल गृह या किसी संस्था में रखा गया कोई बालक मानसिक रुप से बीमार व्यक्ति है या अल्कोहल या ऐसी अन्य मादक द्रव्यों का आदी है जिससे किसी व्यक्ति में व्यवहारात्मक परिवर्तन हो जाते है, वहां समिति या बोर्ड, मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, १९८७ (१९८७ का १४) या उसके अधीन बनाए गए नियमों के अनुसार, ऐसे बालक को मनोचिकित्सा अस्पताल या मनोचिकित्सा परिचर्या गृह ले जाने का आदेश कर सकेगा ।
२) यदि बालक को उपधारा (१) के अधीन किसी मनोचिकित्सा अस्पताल या मनोचिकित्सा परिचर्या गृह में ले जाया गया था तो समिति या बोर्ड मनोचिकित्सा अस्पताल या मनोचिकित्सा परिचर्या गृह के छुट्टी दिए जाने के प्रमाणपत्र में दिए गए परामर्श के आधार पर ऐसे बालक को आदी व्यक्तियों के लिए एकीकृत पुनर्वास केन्द्र या राज्य सरकार द्वारा मानसिक रुप से बीमार व्यक्तियों (जिसके अंतर्गत किसी स्वापक ओषधि या मन:प्रभावी पदार्थ भी है ) के लिए चलाए जा रहे वैसे ही केन्द्रों में से किसी में भेज सकेगा और ऐसा भेजा जाना केवल बालक के अंत:रोगी उपचार के लिए अपेक्षित अवधि के लिए होगा ।
स्पष्टीकरण :
इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए,-
क) आदी व्यक्तियों के लिए पुनर्वास केन्द्र का वही अर्थ है जो केन्द्रीय सरकार के सामाजिक न्याया और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा विरचित अल्कोहालिजम और पदार्थ (ओषधियां) दुरुपयोग के निवारण के लिए और सामाजिक सुरक्षा सेवाओं के लिए केन्द्रीय क्षेत्र की सहायता स्कीम या तत्समय प्रवृत्त किसी तत्स्थानी स्कीम में उसका है;
ख) मानसिक रुप से बीमार व्यक्ति का वही अर्थ है जो मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, १९८७ (१९८७ का १४) की धारा २ के खंड (ठ) में उसका है;
ग) मनोचिकित्सा अस्पताल या मनोचिकित्सा परिचर्या गृह का वही अर्थ है, जो मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, १९८७ (१९८७ का १४) की धारा २ के खंड (थ) में उनका है ।

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