किशोर न्याय अधिनियम २०१५
धारा ८ :
बोर्ड की शक्तियां, कृत्य और उत्तरदायित्व ।
१) तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अंतविष्ट किसी बात के होते हुए भी, और इस अधिनियम में जैसा अन्यथा उपबंधित है, उसके सिवाय किसी जिले के लिए गठित बोर्ड को विधि का उल्लंघन करने वाले बालकों के संबंध में इस अधिनियम के अधीन उस बोर्ड के अधिकारिता क्षेत्र में सभी कार्यवाहियों को अनन्य रुप से निपटाने की शक्ति होगी ।
२) इस अधिनियम द्वारा या उसके अधीन बोर्ड को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग उच्च न्यायालय और बालक न्यायालय द्वारा भी तब जब कार्यवाहियां अपील, पुनरीक्षण में या अन्यथा धारा १९ के अधीन उसके समक्ष आती है, किया जा सकेगा ।
३) बोर्ड के कृत्यों और उत्तरदायित्वों के अंतर्गत निम्नलिखित भी आएंगे, –
क) प्रकिया के प्रत्येक क्रम पर बालक और माता-पिता या संरक्षक की सूचनाबद्ध सहभागिता को सुनिश्चित करना ;
ख) यह सुनिश्चित करना कि बालक के अधिकारों की, बालक की गिरफ्तारी, जांच, पश्चात्वर्ती देखरेख और पुनर्वासन की संपूर्ण प्रक्रिया के दौरान, संरक्षा हो;
ग) विधिक सेवा संस्थाओं के माध्यम से बालक के लिए विधिक सहायता की उपलब्धता सुनिश्चित करना;
घ) बालक को बोर्ड, जब कभी आवश्यक हो, यदि वह कार्यवाहियों में प्रयुक्त भाषा को समझने में असमर्थ है, दुभाषिया या अनुवादक, जिसके पास ऐसी अर्हताएं और अनुभव हो, ऐसी फीस का, जो विहित की जाए, संदाय करने पर उपलब्ध कराएगा;
ङ) परिवीक्षा अधिकारी या यदि परिवीक्षा अधिकारी उपलब्ध नहीं है तो बाल कल्याण अधिकारी या किसी सामाजिक कार्यकर्ता को मामले का सामाजिक अन्वेषण करने और सामाजिक अन्वेषण रिपोर्ट, उन परिस्थितियों को अभिनिश्चित करने के लिए, जिनमें अभिकथित अपराध किया गया था, उसके बोर्ड के समक्ष प्रथम बार पेश किए जाने की तारीख से पन्द्रह दिन की अवधि के भीतर प्रस्तुत करने का निदेश देना;
च) विधि का उल्लंघन करने वाले बालकों के मामलों का धारा १४ में विनिर्दिष्ट जांच की प्रक्रिया के अनुसार न्यायनिर्णयन और निपटारा करना;
छ) विधि का उल्लंघन करने के अभिकथित बालकों से, जिनके बारे में यह कथन किया गया है कि किसी प्रकम पर देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता है, संबंधित मामलों को, इसके द्वारा इस बात को मानते हुए कि विधि का उल्लंघन करने वाला बालक तत्समय देखरेख की आवश्यकता वाला बालक हो सकता है समिति और बोर्ड, दोनों के उसमें अन्तर्वलित होने की आवश्यकता है, समिति को अंतरित करना;
ज) मामले का निपटारा करना और अंतिम आदेश पारित करना जिसके अन्तर्गत बालक के पुनर्वास के लिए व्यष्टिक देखरेख योजना भी है, जिसके अन्तर्गत परिवीक्षा अधिकारी या जिला बालक संरक्षण एकक या किसी गैर सरकारी संगठन के सदस्य द्वारा ऐसी अनुवर्ती कारवाई भी है जो अपेक्षित हो;
झ) विधि का उल्लंघन करने वाले बालकों की देखरेख के बारे में घोषित करने के लिए जांच करना;
ञ) विधि का उल्लंघन करने वाले बालकों के लिए आवासीय सुविधाओं का प्रत्येक मास कम से कम एक निरीक्षण दौरा करना और सेवाओं की क्वालिटी में सुधार के लिए जिला बालक संरक्षण एकक और राज्य सरकार को कारवाई की सिफारिश करना;
ट) विधि का उल्लंघन करने वाले किसी बालक के विरुद्ध, इस अधिनियम या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन कारित अपराधों के संबंध में, इस बारे में की गई किसी शिकायत पर, प्रथम इत्तिला रिपोर्ट रजिस्टर करने का पुलिस को आदेश देना;
ठ) देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले किसी बालक के विरुद्ध इस अधिनियम या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन कारित अपराधों के संबंध में इस बारें में समिति द्वारा प्रथम इत्तिला रिपोर्ट रजिस्टर करने को पुलिस को आदेश देना;
ड) इस बात की जांच करने के लिए कि क्या वयस्कों के लिए बनी जेलों में कोई बालक डाला गया है, उन जेलों का नियमित निरीक्षण करना और १.(उस बालक को, यथास्थिति, संप्रेक्षण गृह या सुरक्षित स्थान में स्थानांतरित किए जाने के तत्काल उपाय करना; और
ढ) कोई अन्य कृत्य, जो विहित किया जाए ।
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१. २०२१ के अधिनियम सं० २३ की धारा ५ द्वारा ऐसे बालक को संप्रेक्षण गृह में स्थानांतरित किए जाने के तत्काल उपाय करना शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।