किशोर न्याय अधिनियम २०१५
धारा ८२ :
शारीरिक दंड ।
१) किसी बालक देखरेख संस्था का भारसाधक या उसमें नियोजित कोई व्यक्ति, जो किसी बालक को अनुशासनबद्ध करने के उद्देश्य से किसी बालक को शारीरिक दंड देगा, वह प्रथम दोषसिद्धी पर दस हजार रुपए के जुर्माने से और प्रत्येक पश्चातवर्ती अपराध के लिए ऐसे कारावास से, जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से, दंडनीय होगा ।
२) यदि उपधारा (१) में निर्दिष्ट संस्था में नियोजित कोई व्यक्ति, उस उपधारा के अधीन किसी अपराध का दोषसिद्ध होता है तो ऐसा व्यक्ति सेवा से पदच्युति का भी दायी होगा और उसे उसके पश्चात् प्रत्यक्षत: बालकों के साथ कार्य करने से भी विवर्जित कर दिया जाएगा ।
३) ऐसे मामले में, जहां उपधारा (१) में निर्दिष्ट किसी संस्था में किसी शारीरिक दंड कि रिपोर्ट की जाती है और ऐसी संस्था का प्रबंधतंत्र किसी जांच में सहयोग नहीं करता है या समिति या बोर्ड या न्यायालय या राज्य सरकार के आदेशों का अनुपालन नहीं करता है, वहां ऐसी संस्था के प्रबंधतंत्र का भारसाधक व्यक्ति, ऐसे कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष से कम की नहीं होगी, दण्डनीय होगा और वह जुर्माने का भी, जो एक लाख रुपए तक का हो सकेगा, दायी होगा ।