किशोर न्याय अधिनियम २०१५
धारा ६५ :
विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण ।
१) राज्य सरकार, दत्तक ग्रहण और गैर-संस्थागत देखरेख के माध्यम से अनाथ, परित्यक्त और अभ्यर्पित बालकों के पुनर्वास के लिए प्राधिकरण द्वारा विरचित दत्तक ग्रहण विनियमों में यथा उपबंधित रीति में प्रत्येक जिले में एक या अधिक संस्थाओं या संगठनों को किसी विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण के रुप में मान्यता देगी ।
२) राज्य अभिकरण, विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरणों को मान्यता प्रदान करते ही या उनका नवीकरण करते ही उसका नाम, पता और संपर्क ब्यौरे, मान्यता या नवीकरण के प्रमाणपत्र या पत्र की प्रतियों सहित प्राधिकरण को देगा ।
३) राज्य सरकार, वर्ष में कम से कम एक बार विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरणों का निरीक्षण कराएगी और यदि अपेक्षित हो तो आवश्यक उपचारिक उपाय करेगी ।
४) उस दशा में, जब कोई विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण, समिति से दत्तक ग्रहण के लिए किसी अनाथ या परित्यक्त या अभ्यर्पित बालक को विधिक रुप से मुक्त कराने में या भावी दत्तक माता-पिता की गृह अध्ययन रिपोर्ट तैयार करने में या नियत समय के भीतर १.(जिला मजिस्ट्रेट) से दत्तक ग्रहण आदेश प्राप्त करने में अपनी और से इस अधिनियम में या प्राधिकरण द्वारा विरचित दत्तक ग्रहण विनियमों में यथा उपबंधित आवश्यक कदम उठाने में व्यतिक्रम करता है तो ऐसा विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण ऐसे जुर्माने से, जो पचास हजार रुपए तक हो सकेगा, दंडनीय होगा और व्यतिक्रम की पुनरावृत्ति की दशा में राज्य सरकार विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण की मान्यता वापस ले लेगी।
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१. २०२१ के अधिनियम सं० २३ की धारा २३ द्वारा संबंधित न्यायालय में शब्द के स्थान पर प्रतिस्थापित ।