किशोर न्याय अधिनियम २०१५
धारा ६३ :
दत्तक ग्रहण का प्रभाव ।
उस तारीख से, जिसको दत्तक ग्रहण आदेश प्रभावी होता है, निर्वसीयत सहित सभी प्रयोजनो के लिए ऐसा बालक, जिसके संबंध में १.(जिला मजिस्ट्रेट) द्वारा कोई दत्तक ग्रहण आदेश जारी किया गया है, दत्तक माता-पिता का बालक हो जाएगा और दत्तक माता-पिता बालक के इस प्रकार माता-पिता हो जाएंगे मानो दत्तक माता-पिता ने बालक को पैदा किया है और उस तारीख से ही बालक या बालिका के जन्म के कुटुंब से बालक या बालिका के सभी संबंध समाप्त हो जाएंगे और उसके स्थान पर दत्तक ग्रहण आदेश द्वारा सृजित दत्तक कुटुंब में प्रतिस्थापित हो जाएंगे :
परन्तु ऐसी कोई संपत्ति, जो उस तारीख से ठीक पूर्व, जिसको दत्तक ग्रहण आदेश प्रभावी होता है, दत्तक बालक में निहित हो गई उस संपत्ति के स्वामित्व से, संलग्न बाध्यताओं सहित, जिसके अंतर्गत जैव कुटुंब में नातेदारों का भरण-पोषण, यदि कोई हो, भी है, ऐसी बाध्यताओं के अध्यधीन बालक में निहित रहेंगी ।
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१. २०२१ के अधिनियम सं० २३ की धारा २२ द्वारा न्यायालय में शब्द के स्थान पर प्रतिस्थापित ।