JJ act 2015 धारा १९ : बालक न्यायालय की शक्तियां ।

किशोर न्याय अधिनियम २०१५
धारा १९ :
बालक न्यायालय की शक्तियां ।
१) धारा १५ के अधीन बोर्ड से प्रारंभिक निर्धारण प्राप्त होने के पश्चात् बालक न्यायालय यह विनिश्चय कर सकेगा कि :-
एक) बालक का दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (१९७४ का २) के उपबंधो के अनुसार वयस्क के रुप में विचारण करने की आवश्यकता है और वह विचारण के पश्चात्, इस धारा और धारा २१ के उपबंधो के अधीन रहते हुए, बालक की विशेष आवश्यकताओं, ॠजु विचारण के सिद्धान्तों पर विचार करते हुए तथा बालक हितैषी वातावरण बनाए रखते हुए समुचित आदेश पारित कर सकेगा;
दो) वयस्क के रुप में बालक के विचारण की कोई आवश्यकता नहीं है और बोर्ड के रुप में जांच की जा सकती है तथा धारा १८ के उपबंधो के अनुसार समुचित आदेश पारित कर सकेगा ।
२) बालक न्यायालय यह सुनिश्चित करेगा कि विधि का उल्लंघन करने वाले बालक से संबंधित अंतिम आदेश में बालक के पुनर्वासन के लिए व्यक्तिगत देखभाल योजना को सम्मिलित किया जाएगा जिसके अंतर्गत परिवीक्षा अधिकारी या जिला बाल संरक्षण एकक या किसी सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा की गई अनुवर्ती कार्रवाई भी है ।
३) बालक न्यायालय यह सुनिश्चित करेगा कि ऐसे बालक को, जो विधि का उल्लंघन करते हुए पाया जाता है, इक्कीस वर्ष की आयु का होने तक सुरक्षित स्थान पर भेजा जाए और तत्पश्चात् उक्त व्यक्ति को जेल में स्थानान्तरित कर दिया जाएगा :
परंतु बालक को, सुरक्षित स्थान पर उसके ठहरने की कालावधि के दौरान, सुधारात्मक सेवाएं जिनके अंतर्गत शैक्षणिक सेवाएं, कौशल विकास, परामर्श देने, व्यवहार उपांतरण चिकित्सा जैसी वैकल्पिक चिकित्सा और मनश्चिकित्सीय सहायता भी है, उपलब्ध करवाई जाएंगी ।
४) बालक न्यायालय यह सुनिश्चित करेगा कि सुरक्षित स्थान पर बालक की प्रगति का मूल्यांकन करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि बालक से वहां किसी प्रकार का दुव्र्यवहार नहीं किया गया है, यथा अपेक्षित परिवीक्षा अधिकारी या जिला बालक संरक्षण एकक या सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा प्रत्येक वर्ष एक आवधिक अनुवर्ती रिपोर्ट दी जाए ।
५) उपधारा (४) के अधीन दी गई रिपोर्ट अभिलेख और अनुवर्तन के लिए जैसा अपेक्षित हो, बालक न्यायालय को भेजी जाएगी ।

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