JJ act 2015 धारा १८ : विधि का उल्लंघन करते पाए गए बालक के बारे में निदेश ।

किशोर न्याय अधिनियम २०१५
धारा १८ :
विधि का उल्लंघन करते पाए गए बालक के बारे में निदेश ।
१) जहां बोर्ड का जांच करने पर यह समाधान हो जाता है कि बालक ने, आयु को विचार में लाए बिना कोई छोटा अपराध या कोई घोर अपराध किया है; या सोलह वर्ष से कम आयु के बालक ने कोई जघन्य अपराध किया है १.(या सोलह वर्ष से अधिक आयु के बालक ने कोई जघन्य अपराध किया है और बोर्ड ने धारा १५ के अधीन प्रारंभिक निर्धारण करने के पश्चात् मामले का निपटारा कर दिया है) तो तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अंतर्विष्ट किसी तत्प्रतिकूल बात के होते हुए भी और अपराध की प्रकृति, पर्यवेक्षण या मध्यक्षेप की विशिष्ट आवश्यकता ऐसी परिस्थितियों, जो सामाजिक अन्वेषण रिपोर्ट में बताई गई है, और बालक के पूर्व आचरण के आधार पर बोर्ड यदि ऐसा करना ठिक समझता है तो वह, –
क) बालक को, समुचित जांच के पश्चात् और ऐस बालक, तथा उसके माता-पिता या संरक्षक को परामर्श देने के पश्चात् उपदेश या भत्र्सना के पश्चात् घर जाने के लिए अनुज्ञात कर सकेगा;
ख) बालक को सामूहिक परामर्श और ऐसे ही क्रियाकलापों में भाग लेने का निदेश दे सकेगा;
ग) बालक को किसी संगठन या संस्थान अथवा बोर्ड द्वारा पहचान किए, गए विनिर्दिष्ट व्यक्ति, व्यक्तियों या व्यक्ति समूह के पर्यवेक्षणाधीन सामुदायिक सेवा करने का आदेश दे सकेगा;
घ) बालक या बालक के माता-पिता या संरक्षण को जुर्माने का संदाय करने का आदेश दे सकेगा :
परंतु यदि बालक कार्यरत है तो वह यह सुनिश्चित कर सकेगा कि तत्समय प्रवृत्त किसी श्रम विधि के उपबंधो का उल्लंघन न हुआ हो;
ङ) बालक को सदाचरण की परिवीक्षा पर छोडने और माता-पिता, संरक्षक या योग्य व्यक्ति की देखरेख में रखने का निदेश, ऐसे माता-पिता, संरक्षक या योग्य व्यक्ति द्वारा बालक के सदाचार और उसकी भलाई के लिए बोर्ड की अपेक्षानुसार प्रतिभू सहित या रहित तीन वर्ष से अनधिक की कालावधि के लिए बंधपत्र निष्पादित किए जाने पर, दे सकेगा;
च) बालक के सदाचरण की परिवीक्षा पर छोडने और बालक के सदाचार और भलाई को सुनिश्चित करने के लिए किसी उचित सुविधा तंत्र की देखरेख और पर्यवेक्षण में रखने का निदेश तीन वर्ष से अनधिक की कालावधि के लिए दे सकेगा;
छ) बालक को तीन वर्ष से अनधिक की एसी अवधि के लिए, जो वह ठीक समझे, विशेष गृह में ठहरने की कालावधि के दौरान सुधारात्मक सेवाएं देने के लिए, जिनके अंतर्गत शिक्षा, कौशल विकास, परामर्श देना व्यवहार उपांतरण चिकित्सा और मनश्चिकित्सीय सहायता भी है, विशेष गृह में भेजने का निदेश दे सकेगा :
परंतु यदि बालक का आचरण और व्यवहार ऐसा हो गया है जो बालक के हित में या विशेष गृह में रहने वाले अन्य बालकों के हित में नहीं होगा तो बार्ड, ऐसे बालक को सुरक्षित स्थान पर भेज सकेगा ।
२) यदि उपधारा (१) के खंड (क) से खंड (छ) के अधीन कोई आदेश पारित किया जाता है तो बोर्ड –
एक) विद्यालय में हाजिर होने; या
दो) किसी व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र में हाजिर होने; या
तीन) किसी चिकित्सा केंद्र में हाजिर होने; या
चार) किसी विनिर्दिष्ट स्थान पर बारंबार जाने या हाजिर होने से बालक को प्रतिषिद्ध करने; या
पांच) व्यसनमुक्ति कार्यक्रम में भाग लेने,
का अतिरिक्त आदेश पारित कर सकेगा ।
३) जहां बोर्ड, धारा १५ के अधीन प्रारंभिक निर्धारण करने के पश्चात् यह आदेश पारित करता है कि उक्त बालक का, वयस्क के रुप में विचारण करने की आवश्यकता है वहां बोर्ड मामले के विचारण को ऐसे अपराधों के विचारण की अधिकारिता वाले बालक न्यायालय को अंतरित करने का आदेश दे सकेगा ।
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१. २०२१ के अधिनियम सं० २३ की धारा ८ द्वारा अन्त:स्थापित।

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