JJ act 2015 धारा १२ : ऐसे व्यक्ति की जमानत जो दृश्यमान रुप से विधि का उल्लंघन करने वाला अभिकथित बालक है ।

किशोर न्याय अधिनियम २०१५
धारा १२ :
ऐसे व्यक्ति की जमानत जो दृश्यमान रुप से विधि का उल्लंघन करने वाला अभिकथित बालक है ।
१) जब कोई ऐसा व्यक्ति, जो दृश्यमान रुप से एक बालक है और जिसने अभिकथित जमानतीय या अजमानतीय अपराध किया है, पुलिस द्वारा गिरफ्तार या निरुद्ध किया जाता है या बोर्ड के समक्ष उपसंजात होता है या लाया जाता है, तब दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३ या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी, ऐसे व्यक्ति को प्रतिभू सहित या रहित जमानत पर छोड दिया जाएगा या उसे किसी परिवीक्षा अधिकारी के पर्यवेक्षाधीन या किसी उपयुक्त व्यक्ति की देखरेख के अधीन रखा जाएगा :
परंतु ऐसे व्यक्ति को तब इस प्रकार छोडा नहीं जाएगा जब यह विश्वास करने के युक्तियुक्त आधार प्रतीत होते है कि उस व्यक्ति को छोडे जाने से यह संभाव्य है कि उसका संसर्ग किसी ज्ञात अपराधी से होगा या उक्त व्यक्ति नैतिक, शारीरिक या मनोवैज्ञानिक रुप से खतरे में पड जाएगा या उस व्यक्ति के छोडे जाने से न्याय का उद्देश्य विफल हो जाएगा, और बोर्ड जमानत देने से इंकार करने के कारणों को और ऐसा विनिश्चय लेने से संबंधित परिस्थितियों को अभिलिखित करेगा ।
२) जब गिरफ्तार किए जाने पर ऐसे व्यक्ति को पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी द्वारा उपधारा (१) के अधीन जमानत पर नहीं छोडा जाता है तब ऐसा अधिकारी उस व्यक्ति को ऐसी रीति से, जो विहित की जाए, १.(यथास्थिति, संप्रेक्षण गृह या सुरक्षित स्थान) में केवल तब तक के लिए रखवाएगा जब तक ऐसे व्यक्ति को बोर्ड के समक्ष न लाया जा सके ।
३) जब ऐसा व्यक्ति, बोर्ड द्वारा जमानत पर नहीं छोडा जाता है तब वह ऐसे व्यक्ति के बारे में जांच के लंबित रहने के दौरान ऐसी कालावधि के लिए जो आदेश में विनिर्दिष्ट की जाए, उसे यथास्थिति, संप्रेक्षण गृह या किसी सुरक्षित स्थान में भेजने के लिए आदेश करेगा ।
४) जब विधि का उल्लंघन करने वाला कोई बालक, जमानत के आदेश के सात दिन के भीतर जमानत की शर्तो को पुरा करने में असमर्थ होता है तो एसे बालक को जमानत की शर्तों के उपांतरण के लिए बोर्ड के समक्ष पेश किया जाएगा ।
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१. २०२१ के अधिनियम सं० २३ की धारा ६ द्वारा संरक्षण गृह के स्थान पर प्रतिस्थापित ।

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