सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम २०००
धारा ७७क :
१.(अपरोधों का शमन :
१) सक्षम अधिकारिता वाला न्यायालय, उन अपराधों से भिन्न अपराधों का शमन कर सकेगा, जिनके लिए इस अधिनियम के अधीन आजीवन या तीन वर्ष से अधिक के कारावास के दंड का उपबंध किया गया है :
परंतु न्यायालय, ऐसे अपराध का वहां शमन नहीं करेगा, जहां अपराधी, उसकी पूर्व दोषसिध्दि के कारण या तो वर्धित दंड का भिन्न प्रकार के किसी दंड के लिए दायी है:
परंतु यह और कि न्यायालय ऐसे किसी अपराध का शमन नहीं करेगा, जहां ऐसा अपराध देश की समाजिक- आर्थिक स्थिति पर प्रभाव डालता है या अठारह वर्ष की आयु से कम आयु के किसी बालक या किसी स्त्री के संबंध में किया गया है ।
२) इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध का अभियुक्त व्यक्ति उस न्यायालय में, जिसमें अपराध विचारण के लिए दंडित है, शमन के लिए आवेदन फाइल कर सकेगा और दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (१९७४ का २) की धारा २६५ख और धारा २६५ग के उपबंध लागू होंगे ।)
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१. २००९ के अधिनियम सं. १० की धारा ३८ द्वारा प्रतिस्थापित ।
