सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम २०००
धारा ४३क :
१.(डाटा को संरक्षित रखने में असफलता के लिए प्रतिकर :
जहां कोई निगमित निकाय ऐसे किसी कंप्यूटर संसाधन में किसी संवेदनशील व्यक्तिगत डाटा या सूचना को रखता है, उसका संव्यवहार करता है या उसको संभलता है जो उसके स्वामित्व में, नियंत्रण में है या जिसका वह प्रचालन करता है, युक्तियुक्त सुरक्षा पध्दतियों और प्रक्रियाओं के कार्यान्वयन और अनुरक्षण में उपेक्षा करता है और उसके द्वारा किसी व्यक्ति को सदोष हानि या सदोेष लाभ पहुंचाता है, वहां ऐसा निगमित निकाय, इस प्रकार प्रभावित व्यक्ति को प्रतिकार के रूप में नुकसानी का संदाय करने के लिए दायी होगा ।
स्पष्टीकरण :
इस धारा के प्रयोजनों के लिए,-
१)निगमित निकाय से कोई कंपनी अभिप्रेत है और इसके अंतर्गत वाणिज्यिक या वृत्तिक क्रियाकलापों में लगी हुई फर्म, एकल स्वामित्व या व्यष्टियों का कोई अन्य संगम भी है;
२) युक्तियुक्त सुरक्षा पध्दतियों और प्रक्रियाओं से ऐसी अप्राधिकृत पंहुंच, नुकसानी, उपयोग, उपांतरण, प्रकटन या हृास, जो यथास्थिति, पक्षकारों के बीच किसी करार में विनिर्दिष्ट किया जाए या जो तत्समय प्रवृत्त किसी विधि में विनिर्दिष्ट किया जाए ऐसी सूचना को संरक्षित करने के लिए अभिकल्पित सुरक्षा पध्दतियों और प्रक्रियाएं और ऐसे करार या किसी विधि के अभाव में, ऐसी युक्तियुक्त सुरक्षा पध्दतियां और प्रक्रियाएं, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा ऐसे वृत्तिक निकायों या संगमों के परामर्श से, जिन्हें वह उपयुक्त समझे, विहित की जाएं अभिप्रेत है;
३)संवेदनशील व्यक्तिगत डाटा या सूचना से ऐसी व्यक्तिगत सूचना अभिप्रेत है जो केन्द्रीय सरकार द्वारा ऐेसे वृत्तिक निकायों या संगमों के परामर्श से, जिन्हे वह उचित समझे, विहित की जाए ।)
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१. २००९ के अधिनियम सं. १० की धारा २२ द्वारा प्रतिस्थापित ।