भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ८८ :
किसी व्यक्ती के फायदे के लिए उसके सम्मति से सद्भावपूर्वक किया गया कार्य जिसमें मृत्यू कारित करने का आशय नहीं है :
(See section 26 of BNS 2023)
कोई बात या कार्य, जो किसी ऐसी अपहानि के कारण अपराध नहीं है, जो मृत्यू कारित करने के आशय से न की गई हो, जो उस बात से किसी ऐसे व्यक्ति को, जिसके फायदे के लिए वह बात सद्भावपूर्वक की जाए और जिसने उस अपहानि को सहने, या उस अपहानि की जोखिम उठाने के लिए चाहे अभिव्यक्त, चाहे विवक्षित सम्मति दे दी हो, कारित हो या कारित करने का कर्ता को आशय हो या करित होने की संभाव्यता कर्ता को ज्ञात है ।
दृष्टांत :
(क) एक श्लय चिकित्सक, यह जानते हुए कि एक विशेष शस्त्रकर्म से (य) को, जो वेदनापूर्ण व्याधि से ग्रस्त है, मृत्यु कारित होने की संभाव्यता है किन्तु (य) की मृत्यु कारित करने का आशय न रखते हुए और सद्भावपूर्वक (य) के फायदे के आशय से (य) की सम्मति से (य) पर वह शस्त्रकर्म करता है । (क) ने कोई अपराध नहीं किया है ।