Ipc धारा ६ : संहिता में की परिभाषाओं का अपवादों के अध्यधीन समझा जाना :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
अध्याय २ :
साधारण स्पष्टीकरण :
धारा ६ :
संहिता में की परिभाषाओं का अपवादों के अध्यधीन समझा जाना :
(See section 3 of BNS 2023)
इस संहिता में सर्वत्र, अपराध की हर परिभाषा, हर दण्ड उपबंध और हर ऐसी परीभाषा या दण्ड उपबन्ध का हर दृष्टांत, साधारण अपवाद शीर्षक वाले अध्याय में अन्तर्विष्ट अपवादों के अध्ययीन समझा जाएगा, चाहे उन अपवादों को ऐसी परिभाषा, दण्ड उपबन्ध, या दृष्टांत में दुहराया न गया हो।
दृष्टांत :
क) इस संहिता की वे धाराएं, जिनमें अपराधों की परिभाषाएं अन्तर्विष्ट है, यह अभिव्यक्त नहीं करती कि सात वर्ष से कम आयु का शिशु ऐसे अपराध नहीं कर सकता, किन्तु परिभाषाएं उस साधारण अपवाद के अध्यधीन समझी जानी है जिसमें यह उपबन्धित है कि कोई बात, जो सात वर्ष से कम आयु के शिशु द्वारा की जाती है, अपराध नहीं है ।
ख) क, एक पुलिस आफिसर, वारण्ट के बिना, य को, जिसने हत्या की है, पकड लेता है । यहां क सदोष परिरोध के अपराध का दोषी नहीं है, क्योंकि वह य को पकडने के लिए विधि द्वारा आबद्ध था, और इसलिए यह मामला उस साधारण अपवाद के अन्तर्गत आ जाता है, जिसमें यह उपबन्धित है कि कोई बात अपराध नहीं है जो किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाए जो उसे करने के लिए विधि द्वारा आबद्ध हो।

धारा ३२ :
कार्यों को निर्देश करने वाले शब्दोंके अंतर्गत अवैध लोप(गलती) आता है :
(See section 3(4) of BNS 2023)
जब तक कि संदर्भ से प्रतिकूल आशय प्रतीत(प्रस्तुत) न हो, इस संहिता के हर हिस्से(भाग) में किए गए कार्यों का निर्देश शब्दों का विस्तार अवैध लोपों(गलती/चुक) पर भी है ।

धारा ३४ :
१.(समान (सामान्य) उद्देश (आशय) हासिल (आगे बढाना) करने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य :
(See section 3(5) of BNS 2023)
जब की कोई अपराधीक कार्य कई व्यक्तीयों द्वारा सबके समान (सामान्य) उद्देश (आशय) हासिल (आगे बढाना) करने में किया जाता है, तब ऐसे व्यक्तीयों में से हर व्यक्ती उस कार्य के लिए उसी प्रकार उत्तरदायी (अधीन) है, जैसे कि वह कार्य उसी अकेले ने किया हो।)
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१. १८७० के अधिनियम सं० २७ की धारा १ द्वारा मूल धारा के स्थान पर प्रतिस्थापित ।

धारा ३५ :
जबकी ऐसा कार्य आपराधिक हेतु कारण से आपराधिक ज्ञान या आशय से किया गया है :
(See section 3(6) of BNS 2023)
जब कभी कोई कार्य आपराधिक ज्ञान या आशय से आपराधिक हेतु से कई व्यक्तीयों द्वारा किया जाता है,तब ऐसे व्यक्तीयों में से हर व्यक्ती, जो ऐसे ज्ञान या आशय से उस कार्य में सम्मिलित होता है, ऐसे समय में उस कार्य के लिए उसी प्रकार दायित्व के अधीन है, जैसे वह कार्य आपराधिक ज्ञान या आशय से उसी अकेले द्वारा किया गया हो ।

धारा ३६ :
अंशत: कार्य द्वारा और अंशत: लोप (चूक)द्वारा कारित परिणाम (प्रभावित परिणाम) :
(See section 3(7) of BNS 2023)
जहा कही किसी कार्य द्वारा या लोप (चूक) द्वारा किसी परिणाम का कारित किया जाना या उस परिणाम को कारित करने का प्रयत्न करना अपराध है, वहाँ यह समझा जाना है कि उस परिणाम का अंशत: कार्य द्वारा और अंशत: लोप द्वारा कारित किया जाना वही अपराध है ।
दृष्टांत :
(क) अंशत: (य) को भोजन देने का अवैध रुप से लोप (चूक) करके, और अंशत: (य) को पीटकर साशय (य) की मृत्यु कारित करता है याने (क) ने हत्या की है ।

धारा ३७ :
किसी अपराध को गठित करने वाले कई कार्यो में से किसी एक कार्य को करके सहयोग करना :
(See section 3(8) of BNS 2023)
जब कही कोई अपराध कई कार्यो द्वारा किया जाता है, तब जो कोई अकेले या अन्य व्यक्ती के साथ सम्मिलित (मिलकर) होकर उन कार्यो में से कोई एक कार्य करके उस अपराध के किये जाने में साशय सहयोग करता है, वह उस अपराध को करता है ।
दृष्टांत :
क) (क) और (ख) पृथक – पृथक (अलग – अलग) रुप से और विभिन्न समयों पर (य) को विष की छोटी-छोटी मात्राएं देकर उसकी हत्या करने को सहमत होते है । (क) और (ख), (य) की हत्या करने के आशाय से सहमति के अनुसार (य) को विष देते हैं । (य) इस प्रकार दी गई विष की कई मात्राओं के प्रभाव से मर जाता है । यहां (क) और (ख) हत्या करने में साशय सहयोग करते हैं और क्योंकि उनमें से हर एक ऐसा कार्य करता है, जिससे मृत्यु कारित होती है, वे दोनों इस अपराध के दोषी हैं, यद्यपि उनके कार्य पृथक हैं ।
ख) (क) और (ख) संयुक्त जेलर हैं, और अपनी उस हैसियत में वे एक कैदी (य) का बारी-बारी से एक समय में ६ घंटे के लिए संरक्षण – भार रखते हैं (य) को दिए जाने के प्रयोजन से जो भोजन (क) और (ख) को दिया जाता है, वह भोजन इस आशय से कि (य) की मृत्यु कारित कर दी जाए, हर एक अपने हाजिरी के काल में (य) को देने का लोप करके वह परिणाम अवैधध रुप से कारित करने में जानते हुए सहयोग करने हैं । (य) भूख से मर जाता है । (क) और (ख) दोनों (य) की हत्या के दोषी हैं ।
ग) एक जेलर (क) एक कैदी (य) का संरक्षण – भार रखता है । (क), (य) की मृत्यु कारित करने के आशय से, (य) को भोजन देने का अवैध रुप से लोप करता है, जिसके परिणामस्वरुप (य) की शक्ति बहुत क्षीण हो जाती है, किन्तु यह क्षुधापीडन उसकी मृत्यु, कारित करने के लिए पर्याप्त नहीं होता । (क) अपने पद से खारिज कर दिया जाता है और (ख) उसका उत्तरवर्ती होता है । (क) से दुस्संधि या सहयोग किए बिना (ख) यह जानते हुए कि ऐसा करने से संभाव्य है कि वह (य) की मृत्यु कारित कर दे, (य) को भोजन देने का अवैधद रुप से लोप करता है । (य) भूख से मर जाता है । (ख) हत्या का दोषी है किन्तु (क) ने (ख) से सहयोग नहीं किया, इसलिए (क) हत्या के प्रयत्न का ही दोषी है ।

धारा ३८ :
आपराधिक कार्य में संबंधित व्यक्ती विभिन्न अपराधों के लिए दोषी हो सकेंगे :
(See section 3(9) of BNS 2023)
जहां कई व्यक्ती किसी आपराधिक कार्य करने में लगे हुए हो या संबंधित हो या सम्मिलित हो , वहाँ वे उस कार्य के आधार पर विभिन्न अपराधों के लिए दोषी हो सकेंगे ।
दृष्टांत :
(क) गम्भीर प्रकोपन की ऐसी परिस्थियों के अधीन (य) पर आक्रमण करता है कि (य) का उसके द्वारा वध किया जाना केवल ऐसा आपराधिक मानववध है, जो हत्या की कोटि में नहीं आता है । (ख) जो (य) से वैमनस्य रखता है, उसका वध करने के आशय से और प्रकोपन के वशीभूत न होते हुए (य) का वध करने में (क) की सहायता करता है । यहां, यद्यपि (क) और (ख) दोनों (य) की मृत्यु कारित करने में लगे हुए है, (ख) हत्या का दोषी है और (क) केवल आपराधिक मानव वध का दोषी है ।

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