भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ५४ :
मृत्यू दण्डादेश का लघुकरण (सौम्य) :
(See section 5 of BNS 2023)
जिसमें मृत्यू का दण्डादेश दिया गया हो, ऐसे हर मामले में, उस दण्ड को अपराधी की सम्मति के बिनाभी १.(समुचित सरकार / शासन) इस संहिता द्वारा उपबंधित किसी अन्य दण्ड में लघुकृत (सौम्य) कर सकेगी ।
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१. विधि अनुकूलन आदेश १९५० द्वारा केन्द्रीय सरकार या उस प्रान्त की प्रान्तीय सरकार जिसके भीतर अपराधी को दण्ड दिया जाएगा के स्थान पर प्रतिस्थापित । बदला हुआ मूलपाठ भारत शासन (भारतीय विधि अनुकूलन) आदेश १९३७ द्वारा भारत सरकार या उस स्थान की सरकार के स्थान पर प्रतिस्थापित किए गए थे ।
धारा ५५ :
आजीवन कारावास के दण्डादेश का लघुकरण (सौम्य) :
जिसमें आजीवन १.(कारावास) का दण्डादेश दिया गया हो, एसे हर मामलें में अपराधी के सम्मति के बिना भी २.(समुचित सरकार) उस दण्ड को जो चौदह वर्ष से अधिक न हो, ऐसी अवधि के लिए किसी भांति के कारावास में लघुकृत कर सकेगी ।
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१. १९५५ के अधिनियम सं० २६ की धारा ११७ और अनुसूची द्वारा (१-१-१९५६ से) निर्वासन के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२. विधि अनुकूलन आदेश १९५० द्वारा उस प्रान्त की प्रान्तीय सरकार जिसके भीतर अपराधी को दण्ड दिया जाएगा के स्थान पर प्रतिस्थापित । बदला हुआ मूलपाठ भारत शासन (भारतीय विधि अनुकूलन) आदेश १९३७ द्वारा भारत सरकार या उस स्थान पी सरकार के स्थान पर प्रतिस्थापित किए गए थे ।
धारा ५५ क :
१.(समुचित सरकार की परिभाषा ( अर्थ ) :
(See section 5 of BNS 2023)
उपरि धारा ५४ और ५५ में निर्देशित समुचित सरकार का अर्थ-
क)जिनमें दण्डादेश मृत्यु का दण्डादेश है, या जिस पर संघ की कार्यपालन शक्ति का विस्तार है ऐसे विषय से, संबंधित किसी विधि के विरुद्ध अपराध के लिए है उन मामलों में केन्द्रीय सरकार अभिप्रेत है; और
ख)जिसके अन्दर अपराधी दण्डादिष्ट हुआ है, जहां कि दण्डादेश (चाहे मृत्यु का हो या नहीं) एसे विषय से , जिस पर राज्य की कार्यपालन शक्ति का विस्तार है, संबंधित किसी विधि के विरुद्ध अपराध के लिए है, उन मामलों में उस राज्य की सरकार अभिप्रेत है ।)
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१. विधि अनुकूलन आदेश १९५० द्वारा धारा ५५क के स्थान पर प्रतिस्थापित । धारा ५५ क भारत शासन (भारतीय विधि अनुकूलन) आदेश १९३७ द्वारा अन्त:स्थापित की गई थी ।
धारा ५६ :
यूरोपियों और अमरीकियों को कठोर श्रम कारावास का दण्डादेश. दस वर्ष से अधिक किन्तु जो आजीवन कारावास से अधिक न हो, इस दण्डादेश के संबंध में परंतुक :
दाण्डिक विधि (मूलवंशीय विभेंदों का निराकरण) अधिनियम, १९४९(१९४९ का १७) द्वारा नियसित ।