भारतीय दण्ड संहिता १८६०
अध्याय २३ :
अपराधों को करने के प्रयत्नों के विषय में :
धारा ५११ :
आजीवन कारावास या अन्य कारावास से दण्डनीय अपराधों को करने के प्रयत्न करने के लिए दण्ड :
(See section 62 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : आजीवन कारावास या कारावास से दंडनीय अपराधों को करने का प्रयत्न करना और ऐसे प्रयत्न में ऐसे अपराध के किए जाने की दशा में कोई कार्य करना ।
दण्ड :आजीवन कारावास या उस दिर्घतम अवधि के आधे से अधिक न होनेवाला कारावास जो उस अपराध के लिए उपबंधित है, या जुर्माना , या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :इसके अनुसार कि वह अपराध संज्ञेय है या असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :इसके अनुसार कि वह अपराध जिसका अपराधी द्वारा प्रयत्न किया गया है जमानतीय है या नहीं ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :वह न्यायालय जिसके द्वारा कि प्रयतित अपराध विचारणीय है ।
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जो कोई इस संहिता द्वारा १.(आजीवन कारावास) से या कारावास से दण्डनीय अपराध करने का, या ऐसा अपराध कारित किए जाने का प्रयत्न करेगा, और ऐसे प्रयत्न में अपराध करने की दशा में कोई कार्य करेगा, जहां कि ऐसे प्रयत्न के दण्ड के लिए कोई अभिव्यक्त उपबंध इस संहिता द्वारा नहीं किया गया है, वहां वह २.(उस अपराध के लिए उपबंधित किसी भांति के कारावास से उस अवधि के लिए, जो, यथास्थिति, आजीवन कारावास से आधे तक की या उस अपराध के लिए उपबंधित दीर्घतम अवधि के आधे तक की हो सकेगी,) या ऐसे जुर्माने से, जो उस अपराध के लिए उपबंधित है, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
दृष्टांत :
क) (क), एक सन्दूक तोडकर खोलता है और उसमें से कुछ आभूषण चुराने का प्रयत्न करता है ।
सन्दूक इस प्रकार खोलने के पश्चात् उसे ज्ञात होता है कि उसमें कोई आभूषण नहीं है । उसने चोरी करने की दिशा में कार्य किया है, और इसलिए, वह इस धारा के अधीन दोषी है ।
ख) (क), (य) की जेब में हाथ डालकर (य) की जेब से चुराने का प्रयत्न करता है । (य) की जेब में कुछ न होने के परिणामस्वरुप (क) अपने प्रयत्न में असफल रहता है । (क) इस धारा के अधीन दोषी है ।
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१. १९५५ के अधिनियम सं० २६ की धारा ११७ और अनुसूची द्वारा निर्वासन के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२. १९५५ के अधिनियम सं० २६ की धारा ११७ और अनुसूची द्वारा कतिपय शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।