भारतीय दण्ड संहिता १८६०
अध्याय २० क :
१.(पति या पति के नातेदारों द्वारा कू्ररता के विषय में :
धारा ४९८ क :
किसी स्त्री के पति या पति के नातेदार द्वारा उसके प्रति क्रूरता करना :
(See section 85 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : किसी विवाहित स्त्री के प्रति क्रूरता करने के लिए दंड ।
दण्ड :तीन वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय यदि अपराध किए जाने से संबंधित इत्तिला पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को अपराध से व्यथित व्यक्ति द्वारा या रक्त, विवाह अथवा दत्तक ग्रहण द्वारा उससे संबंधित किसी व्यक्ती द्वारा या यदि कोई ऐसा नातेदार नहीं है तो ऐसे वर्ग या प्रवर्ग के किसी लोक सेवक द्वारा जो राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित किया जाए, दी गई है ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
जो कोई, किसी स्त्री का पति या पति का नातेदार होते हुए, ऐसी स्त्री के प्रति कू्ररता करेगा, वह कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
स्पष्टीकरण :
इस धारा के प्रयोजनों के लिए, क्रूरता से निम्नलिखित अभिप्रेत है :-
क) जानबूझकर किया गया कोई आचरण जो ऐसी प्रकृति का है जिससे उस स्त्री को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करने की या उस स्त्री के जीवन, अंग स्वास्थ्य को (जो चाहे मानसिक हो या शारिरीक) गंभीर क्षति या खतरा कारित करने की संभावना है ; या
ख) किसी स्त्री को इस दृष्टि से तंग करना कि उसको या उसके किसी नातेदार को किसी संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति की कोई मांग पूरी करने के लिए प्रपीडित किया जाए या किसी स्त्री को इस कारण तंग करना कि उसका कोई नातेदार ऐसी मांग पूरी करने में असफल रहा है ।)
——-
१. १९८३ के अधिनियम सं० ४६ की धारा २ द्वारा अन्त:स्थापित ।