Ipc धारा ४९४ : पति या पत्नी के जीवनकाल में पुन: विवाह करना :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ४९४ :
पति या पत्नी के जीवनकाल में पुन: विवाह करना :
(See section 82(1) of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : पति या पत्नी के जीवनकाल में पुन: विवाह करना ।
दण्ड :सात वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : ऐसे विवाह करने वाले व्यक्ति का पति या पत्नी ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई पति या पत्नी के जीवित होते हुए किसी ऐसी दशा में विवाह करेगा जिसमें ऐसा विवाह इस कारण शून्य है कि वह ऐसी पति या पत्नी के जीवनकाल में होता है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
अपवाद :
इस धारा का विस्तार किसी ऐसे व्यक्ती पर नहीं है, जिसका ऐसे पति या पत्नी के साथ विवाह सक्षम अधिकारिता के न्यायालय द्वारा शून्य घोषित कर दिया गया हो,
और न किसी ऐसे व्यक्ती पर है, जो पूर्व पति या पत्नी के जीवनकाल में विवाह कर लेता है, यदि ऐसा पति या पत्नी उस पश्चात्वर्ती विवाह के समय ऐसे व्यक्ती से सात वर्ष तक निरंतर अनुपस्थित रहा हो, और उस काल के भीतर ऐसे व्यक्ती ने यह नहीं सुना हो कि वह जीवित है, परन्तु यह तब जबकि ऐसा पश्चात्वर्ती विवाह करने वाला व्यक्ती उस विवाह के होने से पूर्व उस व्यक्ती को, जिसके साथ ऐसा विवाह होता है, तथ्यों की वास्तविक स्थिति की जानकारी, जहां तक कि अश्रका ज्ञान उसको हो, दे दे ।

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