भारतीय दण्ड संहिता १८६०
अध्याय २० :
विवाह संबंधी अपराधों के विषय में :
धारा ४९३ :
विधिपूर्ण विवाह का प्रवंचना (बहानेसे) से विश्वास उत्प्रेरित करने वाले पुरुष द्वारा कारित सहवास :
(See section 81 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : पुरुष द्वारा स्त्री को, जो उससे विधिपूर्वक विवाहित नहीं है, प्रवंचना से विश्वास कारित करके कि वह उससे विधिपूर्वक विवाहित है, उस विश्वास में उससे सहवास करना ।
दण्ड :दस वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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हर पुरुष, जो किसी स्त्री को, जो विधिपूर्वक उससे विवाहित न हो, प्रवंचना (बहानेसे) से यह विश्वास कारित करेगा कि वह विधिपूर्वक उससे विवाहित है और उसे इस विश्वास में उस स्त्री का अपने साथ सहवास या मैथुन कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।