भारतीय दण्ड संहिता १८६०
१.(करेन्सी नोटों और बैंक नोटों के विषय में :
धारा ४८९ क :
करेन्सी नोटों या बैंक नोटों का कूटकरण :
(See section 178 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : करेंसी नोटों या बैंक नोटों का कूटकरण ।
दण्ड :आजीवन कारावास, या दस वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
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जो काई किसी करेन्सी नोट या बैंक का नोट का कूटकरण करेगा, या जानते हुए करेन्सी नोट या बैंक नोट के कूटकरण की प्रक्रिया के किसी भाग को संपादित करेगा, वह २.(आजीवन कारावास) से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
स्पष्टीकरण :
इस धारा के और धारा ४८९ ख, ३.(४८९ ग, ४८९ घ और ४८९ ङ) के प्रयोजनों के लिए, बैंक नोट पद से उसके वाहक की मांग पर धन देने के लिए ऐसा वचनपत्र या वचनबंध अभिप्रेत है, जो संसार के किसी भी भाग में बैंककारी करने वाले किसी व्यक्ती द्वारा प्रचालित किया गया हो, या किसी राज्य या संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न शक्ति द्वारा या उसके प्राधिकार के अधीन प्रचालित किया गया हो, और जो धन के समतुल्य या स्थानापत्र के रुप में उपयोग में लाए जाने के लिए आशयित है ।
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१. १८९९ के अधिनियम सं० १२ की धारा २ द्वारा जोडा गया ।
२. १९५५ के अधिनियम सं० २६ की धारा ११७ और अनुसूची द्वारा आजीवन निर्वासन के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
३. १९५० के अधिनियम सं० ३५ की धारा ३ और अनुसूची २ द्वारा ४८९ग और ४८९घ के स्थान पर प्रतिस्थापित ।