भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ४८६ :
कूटकृत संपत्ति चिन्ह से चिन्हित माल का विक्रय :
(See section 349 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : कूटकृत सम्पत्ति चिन्ह से चिन्हित माल का जानते हुए विक्रय ।
दण्ड :एक वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : वह व्यक्ति, जिसे ऐसे उपयोग से हानि या क्षति कारित हुई है ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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१.(जो कोई किसी माल या चीजों को स्वयं उन पर या किसी ऐसी पेटी, पैकेज या अन्य पात्र पर, जिसमें ऐसा माल रखा हो, कोई कूटकृत संपत्ति चिन्ह लगा हुआ या छिपा हुआ होते हुए बेचेगा या बेचने के लिए अभिदर्शित करेगा या अपने कब्जे में रखेगा,) जब तक कि वह यह साबित न कर दे कि –
क) इस धारा के विरुद्ध अपराध न करने को सब युक्तियुक्त पूर्वावधानी बरतते हुए, चिन्ह, के असलीपन के संबंध में संदेह करने के लिए उसके पास कोई कारण अभिकथित अपराध करते समय नहीं था, और
ख) अभियोजक द्वारा या उसकी ओर से मांग किए जाने पर, उसने उन व्यक्तीयों के विषय में, जिससे उसने ऐसा माल या चीजें अभिप्राप्त की थीं, वह सब जानकारी दे दी थी, जो उसकी शक्ति में थी, अथवा
ग) अन्या उसने निर्दोषितापूर्वक कार्य किया था,
वह दोनों में से किसी भांति के कारावास दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
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१. १९५८ के अधिनियम सं० ४३ की धारा १३५ और अनुसूची द्वारा कतिपय शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।