भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ४५९ :
प्रच्छन्न (गृप्त) गृह अतिचार या गृह भेदन करते समय घोर उपहति कारित हो :
(See section 331(7) of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : प्रच्छन्न गृह-अतिचार या गृह-भेदन करते समय कारित घोर उपहति ।
दण्ड :आजीवन कारावास, या दस वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
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जो कोई प्रच्छन्न (गुप्त) गृह अतिचार या गृह भेदन करते समय किसी व्यक्ती को घोर उपहति कारित करेगा या किसी व्यक्ती की मृत्यु या घोर उपहति कारित करने का प्रयत्न करेगा, वह १.(आजीवन कारावास) से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
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१. १९५५ के अधिनियम सं० २६ की धारा ११७ और अनुसूची द्वारा आजीवन निर्वासन के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
