भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ४५७ :
कारावास से दण्डनीय अपराध करने के लिए रात्रौ प्रच्छन्न (गुप्त) गृह अतिचार (अनधिकार प्रवेश) या गृह भेदन :
(See section 331(2) and (4) of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : कारावास से दंडनीय अपराध करने के लिए रात्रौ प्रच्छन्न गृह-अतिचार या रात्रौ गृह-भेदन ।
दण्ड :पाँच वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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अपराध : यदि वह अपराध चोरी है ।
दण्ड :चौदह वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई कारावास से दण्डनीय कोई अपराध करने के लिए रात्रौ प्रच्छन्न गृह अतिचार या रात्रौ गृह भेदन करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि पाँच वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा, तथा यदि वह अपराध जिसका किया जाना आशयित हो, चोरी हो, तो कारावास की अवधि चौदह वर्ष तक की हो सकेगी
राज्य संशोधन :
उत्तरप्रदेश :
धारा ४५७ को उसकी उपधारा (१) के रुप में पुन:संख्यांकित किया जाए और इस प्रकार पुन:संख्यांकित उपधारा (१) के पश्चात निम्नलिखित उपधारा जोडी जाए, अर्थात :-
२) जो कोई किसी इमारत में जो पूजा स्थल के रुप में उपयोग की जाती है । ऐसी इमारत से कोई मूर्ति या प्रतिमा चुराने का अपराध करने के लिए रात्रौ प्रच्छन्न (गुप्त) गृह अतिचार या रात्रौ गृह भेदन करता है, वह उपधारा (१) में किसी बात के होते हुए भी कठोर कारावास से दण्डित किया जाएगा, जो ३ वर्ष से कम नहीं होगा, किन्तु जिसकी अवधि १४ वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से, जो पाँच हजार रुपए से कम का नहीं होगा, दण्डित किया जाएगा । परन्तु यह कि पर्याप्त और विशेष कारणों से जिनका उल्लेख निर्णय में किया जाएगा । न्यायालय ३ वर्ष से कम कारावास का दण्डादेश अधिरोपित कर सकेगा ।
