भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ४५४ :
कारावास से दण्डनीय अपराध करने के लिए प्रच्छन्न (गुप्त) गृह अतिचार (अनधिकार प्रवेश) या गृह भेदन :
(See section 331(3) of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : कारावास से दंडनीय अपराध करने के लिए प्रच्छन्न गृह-अतिचार या गृह-भेदन ।
दण्ड :तीन वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
——-
अपराध : यदि वह अपराध चोरी है ।
दण्ड :दस वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
——-
जो कोई कारावास से दण्डनीय अपराध करने के लिए प्रच्छन्न (गुप्त) गृह अतिचार या गृह भेदन करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा,
तथा यदि वह अपराध, जिसका किया जाना आशयित हो, चोरी हो, तो कारावास की अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी ।