भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ४५१ :
कारावास से दण्डनीय अपराध को करने के लिए गृह अतिचार (अनधिकार प्रवेश) :
(See section 332(c) of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : कारावास से दंडनीय अपराध को करने के लिए गृह-अतिचार ।
दण्ड :दो वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : वह व्यक्ति जिसके कब्जे में ऐसी संपत्ति है जिस पर अतिचार किया गया है ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
——-
अपराध : यदि वह अपराध चोरी है ।
दण्ड :सात वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : वह व्यक्ति जिसके कब्जे में ऐसी संपत्ति है जिस पर अतिचार किया गया है ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
——–
जो कोई कारावास से दण्डनीय कोई अपराध करने के लिए गृह अतिचार करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा,
तथा यदि वह अपराध, जिसका किया जाना आशयित हो, चोरी हो, तो कारावास कि अवधि सात वर्ष तक कि हो सकेगी ।