भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ४५० :
आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध को करने के लिए गृह अतिचार (अनधिकार प्रवेश) :
(See section 332(b) of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : आजीवन कारावास से दंडनीय अपराध को करने के लिए गृह-अतिचार ।
दण्ड :दस वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
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जो कोई १.(आजीवन कारावास) से दण्डनीय कोई अपराध करने के लिए गृह अतिचार करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष से अधिक नहीं होगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
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१. १९५५ के अधिनियम सं० २६ की धारा ११७ और अनुसूची द्वारा आजीवन निर्वासन के स्थान पर प्रतिस्थापित ।