भारतीय दण्ड संहिता १८६०
आपराधिक अतिचार के विषय में :
धारा ४४१ :
आपराधिक अतिचार(अनधिकार प्रवेश) :
(See section 329 of BNS 2023)
जो कोई किसी ऐसी संपत्ति में या ऐसी संपत्ति कर, जो किसी दुसरे के कब्जे में है, इस आशय से प्रवेश करता है, कि वह कोई अपराध करे या किसी व्यक्ती को, जिसके कब्जे में ऐसी संपत्ति है, अभित्रस्त, अपमानित या क्षुब्ध करे,
अथवा ऐसी संपत्ति में या ऐसी संपत्ति पर, विधिपूर्वक प्रवेश करके वहां विधिविरुद्ध रुप में इस आशय में बना रहता है कि तद्द्वारा वह किसी ऐसे व्यक्ती को अभित्रस्त, अपमानित, या क्षुब्ध करे या इस आशय से बना रहता है कि वह कोई अपराध करे,
वह आपराधिक अतिचार (अनधिकार प्रवेश) करता है, यह कहा जाता है ।
राज्य संशोधन :
उत्तर प्रदेश : धारा ४४१ के स्थान पर अग्रलिखित को प्रस्थापित करें, अर्थात –
धारा ४४१ :
आपराधिक अतिचार :
जो कोई संपत्ति में या ऐसी संपत्ति पर जो किसी दुसरे के कब्जे में है, इस आशय ते प्रवेश करता है कि वह कोई अपराध करे, जिसके कब्जे में ऐसी संपत्ति है, उस अभित्रस्त, अपमानित या क्षुब्ध करे अथवा ऐसी संपत्ति पर विधिपूर्वक प्रवेश करके वह विधिविरुद्ध रुप से इस आशय में बना रहता है कि एतद्द्वारा वह किसी ऐसे व्यक्ती को अभित्रस्त, अपमानित, या क्षुब्ध करे या इस आशय से बना रहता है कि कोई अपराध करे,
अथवा आपराधिक कानून (उत्तर प्रदेश संशोधन) अधिनियम १९६१ के पूर्व या प्रभाव में आने के बाद ऐसी संपत्ति में या ऐसी संपत्ति पर अनधिकृत कब्जा प्राप्त करने या ऐसी संपत्ति का अनधिकृत उपयोग करने के आशय से संपत्ति में या संपत्ति पर प्रवेश कर चुका है । दुसरे व्यक्ती द्वारा लिखित में सूचना पत्र द्वारा जो सम्यक रुप से उस पर तामील हो चुका है, कहे जाने पर सूचना पत्र में दी गई तिथि ऐसी संपत्ति से हटने या उसका कब्जा या उपयोग करना छोडने में असफल रहता है,
तब वह आपराधिक अतिचार (अनधिकार प्रवेश) करता है, यह कहा जाता है ।