भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ४३६ :
गृह आदि को नष्ट करने के आशय से अग्नि या विस्फोटक पदार्थ द्वारा रिष्टि :
(See section 326(g) of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : गृह, आदि को नष्ट करने के आशय से अग्नि या विस्फोटक पदार्थ द्वारा रिष्टि ।
दण्ड :आजीवन कारावास, या दस वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
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जो कोई किसी ऐसे निर्माण का, जो मामूली तौर पर उपासना स्थान के रुप में या मानव निवास के रुप में या संपत्ति की अभिरक्षा के स्थान के रुप में उपयोग में आता हो, नाश कारित करने के आशय से, या यह संभाव्य जानते हुए कि वह तद्द्वारा उसका नाश कारित करेगा, अग्नि या किसी विस्फोटक पदार्थ द्वार रिष्टि करेगा, वह १.(आजीवन कारावास) से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सेकगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
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१. १९५५ के अधिनियम सं० २६ की धारा ११७ और अनुसूची द्वारा आजीवन निर्वासन के स्थान पर प्रतिस्थापित ।