भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ४२० :
छल करना और संपत्ति परिदत्त करने के लिए बेईमानी से उत्प्रेरित करना :
(See section 318(4) of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : छल करना और तद्द्वारा सम्पत्ति परिदत्त करने के लिए बेईमानी से उत्प्रेरित करना अथवा तद्द्वारा बेईमानी से मूल्यवान प्रतिभूति को रच देना, परिवर्तित कर देना या नष्ट कर देना ।
दण्ड :सात वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : वह व्यक्ति, जिससे छल किया गया है ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई छल करेगा, और तद्द्वारा उस व्यक्ती को, जिस प्रवंचित किया गया है, बेईमानी से उत्प्रेरित करेगा, कि वह कोई संपत्ति किसी व्यक्ती को परिदत्त कर दे , या किसी भी मल्यवान प्रतिभूति को या किसी चीज को, जो हस्ताक्षरित या मुद्रांकित है, और जो मूल्यवान प्रतिभूति में संपरिवर्तित किए जाने योग्य है, पुर्णत: या अंशत: रच दे, परिवर्तित कर दे, या नष्ट कर दे, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।