भारतीय दण्ड संहिता १८६०
अध्याय १७ :
छल के विषय में :
धारा ४१५ :
छल :
(See section 318 of BNS 2023)
जो कोई व्यक्ती, किसी व्यक्ती से प्रवंचना कर उस व्यक्ती को, जिसे इस प्रकार प्रवंचित किया गया है, कपटपूर्वक या बेईमानी से उत्प्रेरित करता है कि वह कोई संपत्ति किसी व्यक्ती को परिदत्त कर दे, या यह सम्मति दे दे कि कोई व्यक्ती किसी संपत्ति को रख रखे या साशय उस व्यक्ती को, जिस इस प्रकार प्रवंचित किया गया है, उत्प्रेरित करता है कि वह ऐसा कोई कार्य करे, या कोई कार्य करने का लोप करे जिसे यह यदि उसे इस प्रकार प्रवंचित न किया गया होता तो, न करता, या करने का लोप न करता, और जिस कार्य या लोप से उस व्यक्ती को शारीरिक, मानसिक, ख्याति, संबंधी या संपात्तिक नुकसान या अपहानि कारित होती है, या कारित होनी संभाव्य है, वह छल करता है, यह कहा जाता है ।
स्पष्टीकरण :
तथ्यों का बेईमानी से छिपाना इस धारा के अर्थ के अन्तर्गत प्रवंचना है ।
क) (क) सिविल सेवा में होने का मिथ्या अपदेश करके साशय (य) से प्रवंचना करता है, और इस प्रकार बेईमानी से (य) को उत्प्रेरित करता है कि वह उसे उधार पर माल ले लेने दे, जिसका मूल्य चुकाने का उसका इरादा नहीं है । (क) छल करता है ।
ख) (क) एक वस्तु पर कूटकृत चिन्ह बनाकर (य) से साशय प्रवंचना करके उसे यह विश्वास कराता है कि वह वस्तु किसी प्रसिद्ध विनिर्माता द्वारा बनाई गई है, और इस प्रकार उस वस्तु का क्रय करने और उसका मूल्य चुकाने के लिए (य) को बेईमानी से उत्प्रेरित करता है । (क) छल करता है ।
ग) (क), (य) को किसी वस्तु का, नकली सैम्पल दिखलाकर (य) से साशय प्रवंचना करके उसे यह विश्वास कराता है कि वह वस्तु सैम्पल के अनुरुप है, और तद्द्वारा उस वस्तु को खरीदने और उसका मूल्य चुकाने के लिए (य) को बेईमानी से उत्प्रेरित करता है । (क) छल करता है ।
घ) (क) किसी वस्तु का मूल्य देने में ऐसी कोठी पर हुंडी करके, जहां (क) का कोई धन जमा नहीं है, और जिसके द्वारा (क) को हुंडी का अनादर किए जाने की प्रत्याशा है, साशय (य) से प्रवंचना करता है, और तद्द्वारा बेईमानी से (य) को उत्प्रेरित करता है कि यह वस्तु परिदत्त कर दे जिसका मूल्य चुकाने का उसका आशय नहीं है । (क) क छल करता है ।
ङ) (क) ऐसे नगों को, जिनको वह जानता है ववे हीरे नहीं है, हीरों के रुप में गिरवी रखकर (य) से साशय प्रवंचना करता है, ओैर तद्द्वारा धन उधार देने के लिए (य) को बेईमानी से उत्प्रेरित करता है । (क) छल करता है ।
च) (क) साशय प्रवंचना करके (य) को यह विश्वास कराता है कि (क) को जो धन (य) उधार देगा उसे वह चुका देगा, और तद्द्वारा बेईमानी से (य) को उत्प्रेरित करता है कि वह उसे धन उधार दे दे, जबकि (क) का आशय उस धन को चुकाने का नहीं है । (क) छल करता है ।
छ) (क), (य) से साशय प्रवंचना करके यह विश्वास दिलाता है कि (क) का इरादा (य) को नील को पौंधो का एक निश्चित परिमाण परिदत्त करने का है, जिसको परिदत्त करने का उसका आशय नहीं है, और तद्द्वारा ऐसे परिदान के विश्वास पर अग्रिम धन देने के लिए (य) को बेईमानी से उत्प्रेरित करता है । (क) छल करता है । यदि (क) धन अभिप्राप्त करते समय नील परिदत्त करने का आशय रखता हो, और उसके पश्चात् अपनी संविदां भंग कर दे और वह उसे परिदत्त न करे, तो वह छल नहीं करता है, किंन्तु संविदा भंग करने के लिए केवल सिविल कार्यवाही के दायित्व के अधीन है ।
ज) (क) साशय प्रवंचना करके (य) को यह विश्वास दिलाता है कि (क) ने (य) के साथ की गई संविदा के अपने भाग का पालन कर दिया है, जब कि उसका पालन उसने नहीं किया है, और तद्द्वारा (य) को बेईमानी से उत्प्रेरित करता है कि वह धन दे । (क) छल करता है ।
झ) (क), (ख) को एक संपदा बेचता है और हस्तांतरित करता है । (क) यह जानते हुए कि ऐसे विक्रय के परिणामस्वरुप उस सम्पत्ति पर उसका कोई अधिकार नहीं है, (ख) को किए गए पूर्व विक्रय और हस्तांतरण के तथ्य को प्रकट न करते हुए उसे (य) के हाथ बेच देता है या बंधक रख देता है, और (य) से विक्रय या बंधक धन प्राप्त कर लेता है । (क) छल करता है ।