Ipc धारा ४१० : चुराई हुई संपत्ति :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
चुराई हुई संपत्ति प्राप्त करने के विषय में :
धारा ४१० :
चुराई हुई संपत्ति :
(See section 317(1) of BNS 2023)
जिसका कब्जा चोरी द्वारा या उद्यापन (बलातग्रहन) द्वारा या लूट द्वारा अन्तरित किया गया है, और वह संपत्ति, जिसका आपराधिक दुर्विनियोग किया गया है, या जिसके बारे में आपराधिक न्यासभंग १.(***) किया गया है, वह संपत्ति चुराई हुई संपत्ति कहलाती है, २.(चाहे वह अन्तरण या वह दुर्विनियोग या न्यासभंग ३.(भारत) के भीतर या बाहर किया गया हो ।) किन्तु यदि ऐसी संपत्ति तत्पश्चात् ऐसे व्यक्ती के कब्जे में पहुंच जाती है, जो उसके कब्जे के लिए वैध रुप से हकदार है, तो वह चुराई हुई संपत्ति नहीं रह जाती ।
——–
१. १८९१ के अधिनियम सं० १२ की धारा २ और अनुसूची १ और १८८२ के अधिनियम सं० ८ की धारा ९ द्वारा का अपराध शब्द निरसित ।
२. १८८२ के अधिनियम सं० ८ की धारा ९ द्वारा अन्त:स्थापित ।
३. ब्रिटिश भारत शब्द अनुक्रमश: भारतीय स्वतंत्रता (केन्द्रीय अधिनियम तथा अध्यादेश अनुकूलन) आदेश १९४८, विधि अनुकूलन आदेश १९५० और १९५१ के अधिनियम सं० ३ को धारा ३ और अनुसूची द्वारा प्रतिस्थापित किए गए ।

Leave a Reply