Ipc धारा ४०९ : लोक सेवक, बैंकर, व्यापारी या अभिकर्ता द्वारा आपराधिक न्यासभंग (विश्वासघात) :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ४०९ :
लोक सेवक, बैंकर, व्यापारी या अभिकर्ता द्वारा आपराधिक न्यासभंग (विश्वासघात) :
(See section 316(5) of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : लोक सेवक द्वारा या बैंककार, व्यापारी या अभिकर्ता, आदि द्वारा आपराधिक न्यासभंग ।
दण्ड :आजीवन कारावास, या दस वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ( राज्य संशोधन , मध्यप्रदेश : सेशन न्यायालय ) ।
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जो कोई लोक सेवक के नाते अथवा बैंकर, व्यापारी, फैक्टर, दलाल, अटर्नी या अभिकर्ता के रुप में अपने कारोबार के अनुक्रम में किसी प्रकार संपत्ति, या संपत्ति पर काई भी अख्तयार अपने को न्यस्त (सौपना) होते हुए उस संपत्ति के विषय में आपराधिक न्यासभंग करेगा, वह १.(आजीवन कारावास) से , या दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सेकगी, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।
राज्य संशोधन :
मध्यप्रदेश : धारा ४०९ के अधीन अपराध सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है ।
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१. १९५५ के अधिनियम सं० २६ की धारा ११७ और अनुसूची द्वारा आजीवन निर्वासन के स्थान पर प्रतिस्थापित ।

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