भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ४०७ :
वाहक, आदि द्वारा आपराधिक न्यासभंग (विश्वासघात) :
(See section 316(3) of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : वाहक, घाटवाल, आदि द्वारा आपराधिक न्यासभंग ।
दण्ड :सात वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : उस सम्पत्ति का स्वामी, जिसके संबंध में न्यासभंग किया गया है ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई वाहक, घाटवाल (तटाध्यक्ष), या भाण्डगारिक (भाण्डागारपाल) के रुप में अपने पास संपत्ति न्यस्त (सौपना) किए जाने पर ऐसी संपत्ति के विषय में आपराधिक न्यासभंग (विश्वासघात) करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।