Ipc धारा ४०४ : मृत व्यक्ती की मृत्यु के समय उसके कब्जे में थी ऐसी संपत्ति का बेईमानी से दुर्विनियोग (गबन) :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ४०४ :
मृत व्यक्ती की मृत्यु के समय उसके कब्जे में थी ऐसी संपत्ति का बेईमानी से दुर्विनियोग (गबन) :
(See section 315 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : किसी सम्पत्ति का, यह जानते हुए बेईमानी से दुर्विनियोग कि वह मृत व्यक्ति के कब्जे में उसकी मृत्यु के समय थी और तब से वह उसके वैध रुप से हकदार व्यक्ति के कब्जे में नहीं रही है ।
दण्ड :तीन वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
——–
अपराध : यदि वह अपराध मृत व्यक्ति द्वारा नियोजित लिपिक या व्यक्ति द्वारा किया जाता है ।
दण्ड : सात वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई किसी संपत्ति को, यह जानते हुए कि ऐसी संपत्ति किसी व्यक्ती की मृत्यु के समय उस मृत व्यक्ती के कब्जे में थी, और तब से किसी व्यक्ती के कब्जे में नहीं रही है, जो ऐसे कब्जे का वैध रुप से हकदार नहीं है, बेईमानी से दुर्विनियोजित (गबन) करेगा या अपने उपयोग में संपरिवर्तित करेगा या कर लेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी,और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा, और यदि वह अपराधी ऐसे व्यक्ती की मृत्यु के समय लिपिक या सेवक के रुप में उसके द्वारा नियोजित था, तो कारावास सात वर्ष तक का हो सकेगा ।
दृष्टांत :
(य) के कब्जे में फर्नीचर और धन था । वह मर जाता है । उसका सेवक (क) उस धन के किसी ऐसे व्यक्ति के कब्जे में आने से पूर्व, जो ऐसे कब्जे का हकदार है बेईमानी से उसका दुर्विनियोग करता है । (क) ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है ।

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