भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३९४ :
लूट करने में स्वेच्छया उपहति कारित करना :
(See section 309 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : लूट करने में या करने के प्रयत्न में व्यक्ति का या ऐसी लूट में संयुक्त तौर से सम्पृक्त किसी अन्य व्यक्ति का स्वेच्छया उपहति कारित करना ।
दण्ड :आजीवन कारावास, या दस वर्ष के लिए कठिन कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ( राज्य संशोधन, मध्य प्रदेश : सेशन न्यायालय ) ।
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यदि कोई व्यक्ती लूट करने में या लूट करने का प्रयत्न करने में स्वेच्छया उपहति कारित करेगा, तो ऐसा व्यक्ती और जो कोई अन्य व्यक्ती ऐसी लूट करने में, या लूट करने का प्रयत्न करने में संयुक्त तौर पर संपृक्त होगा वह १.(आजीवन कारावास) या कठिन कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
राज्य संशोधन :
मध्यप्रदेश : धारा ३९४ के अधीन अपराध सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है ।
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१. १९५५ के अधिनियम सं० २६ की धारा ११७ और अनुसूची द्वारा आजीवन निर्वासन के स्थान पर प्रतिस्थापित ।