Ipc धारा ३९० : लूट :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
लूट और डकैती के विषय में :
धारा ३९० :
लूट :
(See section 309 of BNS 2023)
सब प्रकार के लूट में या चोरी या उद्यापन (बलातग्रहन) होता है ।
चोरी कब लूट होती है :
चोरी लूट है, यदि उस चोरी को करने के लिए, या उस चोरी के करने में या उस चोरी द्वारा अभिप्राप्त संपत्ति को ले जाने में या ले जाने का प्रयत्न करने में, अपराधी उस उद्देश्य से स्वेच्छया किसी व्यक्ती की मृत्यु या उपहति या उसको सदोष अवरोध या तत्काल मृत्यु का, या तत्काल उपहति का, या तत्काल सदोष अवरोध का भय कारित करता है, या कारित करने का प्रयत्न करता है ।
उद्यापन (बलातग्रहन) कब लूट है :
उद्यापन (बलातग्रहन) लूट है, यदि अपराधी वह उद्यापन (बलातग्रहन) करते समय भय में डाले गए व्यक्ती की उपस्थिति में है, और उस व्यक्ती को स्वयं उसकी या किसी अन्य व्यक्ती की तत्काल मृत्यु या तत्काल उपहति या तत्काल सदोष अवरोध के भय मे डालकर वह उद्यापन (बलातग्रहन ) करता है और इस प्रकार भय में डालकर या भय में डाले गए व्यक्ती को उद्यापन (बलातग्रहन) की जाने वाली चीज उसी समय और वहां परिद्त्त करने के लिए उत्प्रेरित करता है ।
स्पष्टीकरण :
अपराधी का उपस्थित होना कहा जाता है, यदि वह उस अन्य व्यक्ती को तत्काल मृत्यु के, तत्काल उपहति के, या तत्काल सदोष अवरोध के भय में डालने के लिए पर्याप्त रुप से निकट हो ।
दृष्टांत :
क) (क), (य) को दबोच लेता है, और (य) के कपडे में से (य) का धन और आभूषण (य) की सम्मति के बिना कपटपूर्वक निकाल लेता है । यहां, (क) ने चोरी की है और वह चोरी करने के लिए स्वेच्छया (य) का सदोष अवरोध कारित करता है । इसलिए (क) ने लूट की है ।
ख) (क), (य) को राजमार्ग पर मिलता है, एक पिस्तौल दिखलाता है और (य) की थैली मांगता है । परिणामस्वरुप (य) अपनी थैली दे देता है । यहां (क) ने (य) को तत्काल उपहति का भय दिखलाकर थैली उद्यापित की है और उद्यपन करते समय वह उसकी उपस्थिति में है । अत: (क) ने लूट की है ।
ग) (क) राजमार्ग पर (य) और (य) के शिशु से मिलता है । (क) उस शिशु को पकड लेता है और यह धमकी देता है कि यदि (य) उसको अपनी थैली परिदत्त नहीं कर देता, तो वह उस शिशु को कगार से नीचे फेंक देगा । परिणामस्वरुप (य) अपनी थैली परिदत्त कर देता है । यहां (क) ने (य) को यह भय कारित करके कि वह उस शिशु को, जो वहां उपस्थित है, तत्काल उपहति करेगा, (य) से उसकी थैली उद्यापित की है । इसलिए (क) ने (य) को लूटा है ।
घ) (क), (य) से यह कह कर, सम्पत्ति अभिप्राप्त करता है कि तुम्हारा शिशु मेंरी टोली के हाथों में है, यदि तुम हमारे पास दस हजार रुपया नहीं भेज दोगे, तो वह मार डाला जाएगा । यह उद्यापन है, और इसी रुप में दण्डनीय है; किन्तु यह लूट नहीं है, जब तक कि (य) को उसके शिशु की तत्काल मृत्यु के भय में न डाला जाए ।

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