भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३८८ :
मृत्यु या आजीवन कारावास, आदि से दण्डनीय अपराध का अभियोग लगाने की धमकी देकर उद्यापन (बलातग्रहन) :
(See section 308(6) of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : मृत्यु, आजीवन कारावास, या दस वर्ष के लिए कारावास से दंडनीय अपराध का अभियोग लगाने की धमकी देकर उद्यापन ।
दण्ड :दस वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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अपराध : यदि वह अपराध, जिसकी धमकी दी गई हो, प्रकृति विरुद्ध अपराध हो ।
दण्ड :आजीवन कारावास ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई किसी व्यक्ती को स्वयं उसके विरुद्ध या किसी अन्य व्यक्ती के विरुद्ध यह अभियोग लगाने के भय में डालकर कि उसने कोई ऐसा अपराध किया है, या करने का प्रयत्न किया है, जो मृत्यु से या १.(आजीवन कारावास) से या ऐसे कारावास से दण्डनीय है, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, अथवा यह कि उसने किसी अन्य व्यक्ती को ऐसा अपराध करने के लिए उत्प्रेरित करने का प्रयत्न किया है, उद्यापन (बलातग्रहन) करेगा, वह दोनो में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा, तथा यदि वह अपराध ऐसा हो जो इस संहिता की धारा ३७७ के अधीन दण्डनीय है, तो वह १.(आजीवन कारावास) से दण्डित किया जाएगा ।
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१. १९५५ के अधिनियम सं० २६ की धारा ११७ और अनुसूची द्वारा आजीवन निर्वासन के स्थान पर प्रतिस्थापित ।