भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३८६ :
किसी व्यक्ती को मृत्यु या घोर उपहति के भय में डालकर उद्यापन (बलातग्रहन) :
(See section 308(4) of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : किसी व्यक्ति को मृत्यु या घोर उपहति के भय में डालकर उद्दापन ।
दण्ड :दस वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई किसी व्यक्ती को स्वयं उसकी या किसी अन्य व्यक्ती की मृत्यु या घोर उपहति के भय में डालकर उद्यापन (बलातग्रहन) करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।