भारतीय दण्ड संहिता १८६०
उद्यापन (बलात्ग्रहन) के विषय में :
धारा ३८३ :
उद्यापन (बलात्ग्रहन) :
(See section 308 of BNS 2023)
जो कोई किसी व्यक्ती को स्वयं उस व्यक्ती को या किसी अन्य व्यक्ती को कोई क्षति करने के भय में साशय डालता है, और एतद्द्वारा इस प्रकार भय में डाले गए व्यक्ती को, कोई सम्पत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति या हस्ताक्षरित या मुद्रांकित कोई चीज, जिसे मूल्यवान प्रतिभूति में परिवर्तित किया जा सके, किसी व्यक्ती को परिदत्त करने के लिए बेईमानी से उत्प्रेरित करता है, वह उद्यापन (बलात्ग्रहन) करता है ।
दृष्टांत :
क) (क) यह धमकी देतो है कि यदि (य) ने उसको धन नहीं दिया, तो वह (य) के बारे में मानहानिकारक अपमानलेख प्रकाशित करेगा । अपने को धन देने के लिए वह इस प्रकार (य) को उत्प्रेरित करता है । (क) ने उद्दापन किया है ।
ख) (क), (य) को वह धमकी देता है कि वह (क) को कुछ धन देने के संबंध में अपने आपको आबद्ध करने वाला एक वचनपत्र हस्ताक्षरित करके (क) को परिदत्त नहीं कर देता, तो वह (य) के शिशु को सदोष परिरोध में रखेगा । (य) वचनपत्र हस्ताक्षरित करके परिदत्त कर देता है । (क) ने उद्दापन किया है ।
ग) (क) यह धमकी देता है कि यदि (य), (ख) को कुछ उपज परिदत्त कराने के लिए शास्तियुक्त बंधपत्र हस्ताक्षरित नहीं करेगा और (ख) को न देगा, तो वह (य) के खेत को जोत डालने के लिए लठैत भेज देगा और तद्द्वारा (य) को वह बंधपत्र हस्ताक्षरित करने के लिए और परिदत्त करने के लिए उत्प्रेरित करता है । (क) ने उद्दापन किया है ।
घ) (क), (य) को घोर उपहति करने के भय में डालकर बेईमानी से (य) को उत्प्रेरित करता है कि वह कोरे कागज पर हस्ताक्षर कर दे या अपनी मुद्रा लगा दे और उसे (क) को परिदत्त कर दे । (य) उस कागज पर हस्ताक्षर करके उसे (क) को परिदत्त कर देता है यहां, इस प्रकार हस्ताक्षरित कागज मूल्यवान प्रतिभूति में परिवर्तित किया जा सकता है, इसलिए (क) ने उद्दापन किया है ।