भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३८१ :
लिपिक या सेवक द्वारा स्वामी के कब्जे की सम्पत्ति की चोरी :
(See section 306 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : लिपिक या सेवक द्वारा स्वामी के या नियोक्ता के कब्जे की सम्पत्ति की चोरी ।
दण्ड :सात वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : चुराई हुई संपत्ति का स्वामी ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई लिपिक या सेवक होते हुए, या लिपिक या सेवक की हैसियत में नियोजित होते हुए, अपने मालिक या नियोक्ता के कब्जे की किसी संपत्ति की चोरी करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सेकगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
