भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३७६ क :
१.(पीडिता की मृत्यु या लगातार विकृतशील दशा कारित करने के लिए दण्ड :
(See section 66 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : बलात्संग का अपराध करने और ऐसी क्षति पहुंचाने वाला व्यक्ति जिससे स्त्री की मृत्यु कारित हो जाती है या उसकी लगातार विकृतशील दशा हो जाती है ।
दण्ड :कम से कम बीस वर्ष के लिए कठोर कारावास, किन्तु जो आजीवन कारावास तक का हो सकेगा, या मृत्युदंड ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
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जो कोई, धारा ३७६ की उपधारा (१) या उपधारा (२) के अधीन दण्डनीय कोई अपराध करता है और ऐसे अपराध के दौरान ऐसी कोई क्षति पहुंचाता है जिससे स्त्री की मृत्यु कारित हो जाती है या जिसके कारण उस स्त्री की दशा लगातार विकृतशील हो जाती है, वह ऐसी कठोर कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि बीस वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, जिससे उस व्यक्ती के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास अभिप्रेत होगा, या मृत्युदंड से दण्डित किया जाएगा ।)
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१. २०१३ के अधिनियम सं० १३ की धारा ९ द्वारा धारा ३७५, धारा ३७६, धारा ३७६क, धारा ३७६ख, धारा ३७६ग और धारा ३७६घ के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
