भारतीय दण्ड संहिता १८६०
१.(यौन अपराध) :
धारा ३७५ :
२.(बलात्संग :
(See section 63 of BNS 2023)
यदि कोई पुरुष –
क) किसी स्त्री की योनि, उसके मुंह, मूत्रमार्ग या गुदा में अपना लिंग किसी भी सीमा तक प्रवेश करता है या उससे ऐसा अपने या किसी अन्य व्यक्ती के साथ करता है; या
ख) किसी स्त्री की योनि, मूत्रमार्ग या गुदा में ऐसी कोई वस्तु या शरीर का कोई भाग, जो लिंग न हो, किसी भी सीमा तक अनुप्रविष्ट करता है या उससे ऐसा अपने या किसी अन्य व्यक्ती के साथ कराता है; या
ग) किसी स्त्री के शरीर के किसी भाग का इस प्रकार हस्तसाधन करता है जिससे कि उस स्त्री की योनि, गुदा, मूत्रमार्ग या शरीर के किसी भाग में प्रवेशन कारित किया जा सके या उससे ऐसा अपने या किसी अन्य व्यक्ती के साथ कराता है; या
घ)किसी स्त्री की योनि, गुदा, मूत्रमार्ग पर अपना मुंह लगाता है या उससे ऐसा अपने या किसी अन्य व्यक्ती के साथ कराता है,
तो उसके बारे में यह कहा जाएगा कि उसने बलात्संग किया है, जहां ऐसा निम्नलिखित सात भांति की परिस्थितियों में से किसी के अधीन किया जाता है –
पहला : उस स्त्री के इच्छा के विरुद्ध ।
दूसरा : उस स्त्री की सम्मति के बिना ।
तीसरा : उस स्त्री की सम्मति से, जब उसकी सम्मति उसे या ऐसे किसी व्यक्ती को, जिससे वह हितबद्ध है, मृत्यु या उपहति के भय में डालकर अभिप्राप्त की गई है ।
चौथा : उस स्त्री की सम्मति से, जब कि वह पुरुष यह जानता है कि वह उसका पति नहीं है और उसने सम्मति इस कारण दी है कि वह यह विश्वास करती है कि वह ऐसा अन्य पुरुष है जिससे वह विधिपूर्वक विवाहित है या विवाहित हाने का विश्वास करती है ।
पाँचवा : उस स्त्री की सम्मति से, जब ऐसी सम्मति देने के समय, वह विकृतचित्तता या मत्तता के कारण या उस पुरुष द्वारा व्यक्तीगत रुप से या किसी अन्य के माध्यम से कोई संज्ञाशून्यकारी या अस्वास्थकर पदार्थ दिए जाने के कारण, उस बात की, जिसके बारे में वह सम्मति देती है, प्रकृति और परिणामों को समझने में असमर्थ है ।
छठवाँ : उस स्त्री की सम्मति से या उसके बिना, जब वह अठारह वर्ष से कम आयु की है ।
सातवाँ : जब वह स्त्री सम्मति संसूचित करने में असमर्थ है ।
स्पष्टीकरण १ :
इस धारा के प्रयोजनों के लिए, योनि के अंतर्गत वृहत्त् भगौष्ठ भी है
स्पष्टीकरण २ :
सम्मति से कोई स्पष्ट स्वैच्छिक सहमति अभिप्रेत है, जब स्त्री शब्दों, संकेतों या किसी प्रकार की मौखिक या अमौखिक संसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट लैंगिक कृत्य में शामिल होने की इच्छा व्यक्त करती है :
परन्तु ऐसी स्त्री के बारे में, जो प्रवेशन के कृत्य का भौतिक रुप से विरोध नहीं करती है, मात्र इस तथ्य के कारण यह नहीं समझा जाएगा कि उसने विनिर्दिष्ट लैंगिक क्रियाकलाप के प्रति सहमति प्रदान की है ।
अपवाद १ :
किस चिकित्सीय प्रक्रिया या अंत:प्रवेशन से बलात्संग गठित नहीं होगा ।
अपवाद २ :
किसी पुरुष का अपनी स्वयं की पत्नी के साथ मैथुन या लैंगिक कृत्य, यदि पत्नी पंद्रह वर्ष से कम आयु की न हो, बलात्संग नही है ।)
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१. १९८३ के अधिनियम सं० ४३ की धारा ३ द्वारा बलात्संग के विषय में शीर्ष के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२. २०१३ के अधिनियम सं० १३ की धारा ९ द्वारा धारा ३७५, धारा ३७६, धारा ३७६क, धारा ३७६ख, धारा ३७६ग और धारा ३७६घ के स्थान पर प्रतिस्थापित ।